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पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जैनोलॉजी ( प्रथम पत्र)
April 19, 2023
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पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जैनोलॉजी
रत्नत्रय
01.1 मोक्षमार्ग एवं सम्यग्दर्शन का स्वरूप
01.2 सच्चे देव, शास्त्र, गुरु का स्वरूप
01.3 सम्यग्दर्शन के भेद
01.4 सम्यग्दर्शन के पच्चीस दोष एवं आठ अंग
01.5 सम्यग्ज्ञान
01.6 सम्यक्चारित्र
कर्म सिद्धान्त
02.1 कर्म का स्वरूप एवं कर्मबंध की प्रक्रिया
02.2 कर्म के भेदप्रभेद एवं प्रत्येक कर्मबंध के कारण
02.3 कर्म की विविध अवस्थाएँ
02.4 कर्म की फलदान प्रक्रिया और ईश्वर
02.5 कर्म मुक्ति के उपाय
निमित्त उपादान एवं भाग्य पुरुषार्थ
03.1 कार्य कारण सिद्धान्त
03.2 मोक्ष और संसार के कारण
03.3 निमित्त की बलवत्ता
03.4 भाग्य (दैव) और पुरुषार्थ
03.5 पुरुषार्थ ही भाग्य का निर्माता
जैनदर्शन में नय व्यवस्था
04.1 जैनदर्शन में नय व्यवस्था व नय के भेद
04.2 शुद्धअशुद्ध निश्चयनय
04.3 अध्यात्म भाषा में नय व्यवस्था
04.4 कौन सा नय कब और किसके द्वारा आश्रयणीय है ?
04.5 ग्रंथों के अध्ययनअध्यापन की शैली
अनेकांत एवं स्याद्वाद
05.1 अनेकांत
05.2 स्याद्वाद
05.3 सप्तभंगी
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