हस्तिनापुर में वीर निर्वाण संवत २५०३ , सन १९७७ में ” मनोवती की दर्शन कथा ” के आधार पर लिखा गया यह रोमांचक उपन्यास है | सती मनोवती की दर्शन प्रतिज्ञा ने देवों का आसन कम्पायमान कर दिया और जंगल में भी उसे जिनमंदिर के दर्शन और गजमोतियों का ढ़ेर मिला , साथ ही बहुत से चमत्कार उसके जीवन में घटित हुए और उसने महान अभ्युदय को प्राप्त किया |