कर्मबंध का मूल प्रमाद है। नाऽऽलस्येन समं सौख्यं, न विद्या सह निद्रया। न वैराग्यं ममत्वेन, नारम्भेण दयालुता।।
आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु विद्याभ्यासी नहीं हो सकता, ममत्व रखने वाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।