प्रयत्नशील व्यक्ति
जीवन में कोई भी कार्य असंभव नहीं है। कार्य को असंभव और संभव हमारा मन और मस्तिष्क ही बनाते हैं। हमारी दृढ इच्छाशक्ति, मजबूत इरादे अनवरत श्रम और अहर्निश प्रयत्न कितने भी दुष्कर लक्ष्य को भेद ही देते हैं। वहीं, यदि हम मानसिक रूप से स्वयं को कमजोर कर दें, प्रयत्न छोड़ दें तो साधारण लक्ष्य भी हिमालय सा विशाल प्रतीत होने लगता है। प्रयत्नशील व्यक्ति अपने जीवन को विषमता को भी अनुकूलता में परिवर्तित कर देता है। उसका अनवरत प्रयत्न पर्वत को भी झुकने पर मजबूर कर देता है। उसके प्रयत्नों से भय खाकर समुद्र मार्ग छोड़ देता है। यह प्रयत्नशील व्यक्ति की सामर्थ्य है। मुनुष्य ही क्यों, इस जगत में कोई भी प्राणी अपने प्रयत्न की सामर्थ्य से चमत्कार उत्पन्न कर सकता है। साधारण सी दीमक अपने प्रयत्नों से मिट्टी की अद्भुत संरचना का निर्माण कर देती है। छोटी सी चींटी अपने प्रयत्नों से लंबी-लंबी यात्रा पूर्ण कर लेती है। बया चिड़िया का घोंसला सभी को आकर्षित करता है। यह उसके तिनका-तिनका जोड़कर लंबे प्रयत्न का परिणाम है।
प्रयत्नशील व्यक्ति जीवन में कभी निराश नहीं होते। वे असफलता के भय से भयभीत नहीं होते। उनका एकमात्र लक्ष्य सदैव प्रयत्न करते रहना होता है। जिस कारण वे असफलता के झंझावातों के मध्य भी सफलता के बीज बोने में सफल हो जाते 2 हैं। जब व्यक्तियों का समूह या समाज सामूहिक प्रयत्न करते हैं तो बड़ी से बड़ी आपदा भी पराजित हो जाती है। असंभव लगने वाली चुनौती भी परास्त हो जाती है। विजयश्री प्रयत्न करने वालों को ही प्राप्त होती है। हमें अपने जीवन में अपने लक्ष्यों के प्रति सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए, जिससे हम MM सहजता के साथ लक्ष्य को भेद सकें। परिश्रम की सामर्थ्य ही सफलता प्रदान करती है। स्मरण रहे कि आसान से आसान कार्य भी आरंभ में मुश्किल लगता है। जब एक बार पहल कर दी जाती है तो सफल होने का सूत्र भी मिल जाता है।