वीर अब्द पच्चीस सौ, उन्नीस मगसिर मास।
तिथि पूर्णा को पूर्ण की, प्रभु भक्ती गुण राशि।।१।।
चौबीस जिनवर वंदना, महापुण्य फलदायि।
गणिनी ‘ज्ञानमती’ कृती, होवे शिवपथदायि।।२।।
जब तक जग में क्षेमकृत्, जिनशासन हितकार।
तब तक जिनवर वंदना, हो भविजन सुखकार।।३।।