-दोहा-
शांतिनाथ तीर्थेश को, नमूँ अनन्तों बार।
कुंथुनाथ अरनाथ को, नमूँ भक्ति उरधार।।१।।
कुंदकुंद आम्नाय में, गच्छ सरस्वती मान्य।
बलात्कारगण सिद्ध है, उनमें सूरि प्रधान।।२।।
सदी बीसवीं के प्रथम, शांतिसागराचार्य।
उनके पट्टाचार्य थे, वीरसागराचार्य।।३।।
देकर दीक्षा आर्यिका, दिया ज्ञानमती नाम।
गुरुवर कृपा प्रसाद से, सार्थ हुआ कुछ नाम।।४।।
छब्बीस सौ उन्नीसवीं, वीर जयंती आज१।
चैत्र शुक्ल तेरस तिथी, वीर जन्म विख्यात।।५।।
वीर जयंती ग्रंथ यह, रचना अनुपम मान्य।
धवला, जयधवलादि से, किया संकलित मान्य।।६।।
हस्तिनागपुर तीर्थ पर, कल्पवृक्ष महावीर।
प्रभु चरणों अर्पण करूँ, मिले भवोदधितीर।।७।।
महावीरशासन यहाँ, करे जगत में क्षेम।
तब तक यह कृति भी यहाँ, भवि को सुख क्षेम।।८।।