-दोहा-
शांतिनाथ भगवान को, हृदय कमल में ध्याय।
जंबूद्वीप के जिनभवन, नमूँ नमूँ सुखदाय।।१।।
हस्तिनागपुर तीर्थ पर, जंबूद्वीप प्रसिद्ध।
वसतिका में बैठकर, लिखा स्तोत्र विशुद्ध।।२।।
वीर अब्द पच्चीस सौ, चालिस ख्यात महान्।
पौष कृष्ण ग्यारस तिथी, पुण्यास्रव गुणगान।।३।।
पूर्ण किया जिनभक्ति से, जिन स्तोत्र महान।
‘गणिनी ज्ञानमती’ मुझे, मिले स्वात्म विश्राम।।४।।
जब तक जिनशासन सुखद, तब तक स्तोत्र महान्।
सब जग में मंगल करे, भर दे पुण्य निधान।।५।।
इति शं भूयात्।