बदलें अपनी दिनचर्या
सर्दी के मौसम में दिनचर्या की अलग तरह की चुनौतियां होती है। इनसे मौसम के अनुरूप निर्धारित करने पर ध्यान दिया जाए, तो रोहन से जुही चुनौतियों से निपटना आसान हो सकता है….
सर्दी की चुनौतिया अलग होती हैं| मौसम बदल जाने से कुछ स्जवाभाविक दिक्कतें होती हैं ऐसेमें गंभीर बीमारियाँ से जुड़े लोगों को अतिरिक्रत सावधानी रखने की जरुरत होती है। चूंकि इस मौसम में प्रदूषण भी अधिक रहता है इसलिए चुनौती और जटिल हो सकती है। इस मौसम में बच्चे, बुजुर्ग महिलाओं को अलग तरह से देखभाल की आवश्यकता होती है।
हाइड्रेट रहेः ठंड के मौसम में सामान्य तौर पर लोग पानी कम पीते हैं, जबकि इस मौसम में भी डिहदट्रेशन की समस्या हो सकती है। पानी की पर्याप्त मात्रा हो तो पोषक तत्वों को शरीर की कोशिकाओं तक ले जाने में मदद मिल सकती है। पाचन से जुड़ी परेशानी कम होती है और त्वचा में नमी बनी रहती है।
मौसम के हिसाब से दवा का-सेवनः यदि आप हृदय से जुड़ी समस्याओं, अस्थमा, किडनी आदि की परेशानी से पीड़ित हैं तो सदर्दी का मौसम शुरू होने के बाद अपने चिकित्सक से मिलकर दवा में बदलाव करें। इस मौसम के अनुसार दवा में परिवर्तन परेशानी को कम करेगा या अधिक बढ़ने से रोकेगा।
यदि अवकाश पर जा रहे: सर्दी में छुट्टियों पर जाना चाहते हैं तो आपको अपनी दिनचर्या में होने वाले बदलाव के प्रति सजग रहना चाहिए, जैसे-खानपान, कसरत आदि का ध्यान रखें|जहाँ आप ठहरने वाले हैं ,वहाँदिनचर्या को सुचारू रखने का प्रयास करें |विदेश जा रहे हैं .तो टाइम जोन के हिसाब से दवा का समय भी तय करलें ,जैसे एकदिन पूर्व या बाद में |
संक्रमण से बचाव के लिए टीका सर्दी के मौसम में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए इंफ्लूएंजा वैक्सीन लगाएं। बुजुगों को या 55 वर्ष की उम्र से अधिक वाले जिन्हें किडनी या अस्थमा की समस्या हो रही है ,उन्हें निमोनिया की वैक्सीन भी लगवा लेनी चाहिए|त्वचा का रखें ध्यान इस मौसम में त्वचा संबंधी परेशानी भी आम है। ठंड के कारण अंगलियों का नीला पड़ना या सूजन आ जाना अक्सर देखा जाता है। ऐसे लोगों को सलाह है कि वे आग के सामने या हीटर आदि के सीधे संपर्क में आकर हाथ की सिकाई न करें। गुनगुने पानी मे हाथ डालकर सिकाई करें। हाथ पैर में नीलापन है, खुजली हो रही है तो आपको भीतर सूती व बाहर से ऊनी दस्ताने पहनने चाहिए।
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