पीतल के बर्तन —पीतल धातु स्वभाव में गर्म होती है । इससे बने बर्तनों में रखा जल और बना हुआ भोजन कृमि एवं कफनाशक होता है । इनमें खट्टे पदार्थ दही, घी, खीर आदि को न रखें।
कांसा —कांसा धातु स्वभाव में शीतल होती है। इससे बने बर्तनों में रखे हुये या बनाये हुये भोजन करने से बुद्धि तेज होती है और भोजन में रूचि बढ़ती है। रक्तपित्त संतुलित होता है । उनमें घी, तेल और खट्टे पदार्थ नहीं रखना चाहिये।
चांदी —चांदी स्वभाव से शीतल होती है । इससे बने बर्तनों में रस रखने से गुणकारी होते हैं और पानी रखने से शुद्ध हो जाता है। चांदी के टुकड़े को जल में डालकर उबालने से जल पूर्णत: शुद्ध पाचक एवं शक्तिवर्धक हो जाता है।
तांबा —तांबा स्वभाव में गर्म होता है” शुभ, लाभ व मंगलकारी होता है । इसमें रखा हुआ ठंडा जल पेट के विकारों को दूर करता है और नेत्र ज्योति को तेज करता है।
स्टील —स्टील लोहे की एक शुद्ध पर्याय है, जो न ठंडी होती है न गर्म, इनमें सभी प्रकार के पदार्थ रखे जा सकते है, इनमें रखे पदार्थ न गुणकारी न अवगुणकारी होते हैं।