बादाम ऐसा मेवा है जिसका प्रयोग हर मौसम में किया जाता है। ठंडाई, शरबत, खीर, मिठाई और सब्जियों में इसको स्वाद बढ़ाने के लिये डाला जाता है।यद्यपि यह एक महंगा मेवा है पर औषधि के रूप में इसका सेवन बहुत लाभदायक रहता है, इसमें पोषक तत्व बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं जैसे प्रोटीन वसा कैल्शियम आदि, सर्दियों में इसका प्रयोग भी ज्यादा होता है। बादाम की मुख्यत: दो किस्में होती है कड़वा और मीठा, मीठा बादाम शीतल और पौष्टिक होता है उसका उपयोग खाने के लिये किया जाता है, कड़वे बादाम का तेल निकाल कर मलहम आदि बनाया जाता है, बादाम विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे गुलबंदी,बादाम, देशी बादाम, कागजी बादाम, अमरीकन बादाम। मुख्यत: बादाम का उपयोग वात पित्त और कफ इन तीन दोषों को दूर करने के लिये किया जाता है। यह मस्तिष्क तथा आंखों के लिये भी लाभदायक है, नैत्र ज्योति के धुंधलेपन को दूर करने के लिये घी और शक्कर को फेट कर उसमें रात में भिगोये बादाम को छीलकर घिसकर मिलाने के बाद प्रतिदिन खाने से लाभ होता है। क्षयरोग में भी बादाम खाने से बहुत लाभ होता है। बादाम गर्म, स्निग्ध, वायुनाशक, वीर्यवर्धक और भारी होता है। बादाम और कपूर को दूध में पीसकर मस्तक पर उसका लेप करने से मस्तकशूल और सिरदर्द मिटता है, दांत खट्टे हो गये हो या होठ फट जाएं तो पांच बादाम की गिरि प्रतिदिन खाने से लाभ होता है। सूखी खांसी बार—बार परेशान कर रही हो तो बादाम मुंह में रखने से गला तर रहता है तथा खांसी भी नहीं आती है। मस्तिष्क की कमजोरी को दूर करने, स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिये भी प्रतिदिन प्रात: रात में भिगोये १० बादाम को छीलकर उसमें सम्भाग मक्खन और मिश्री मिलाकर दो महीने तक सेवन करने से अभूतपूर्व लाभ होता है । पुराने सिरदर्द को भी दूर करने के लिये यदि बारह बादाम की गिरी में दस ग्राम सौंफ मिलाकर पीसकर प्रात: और रात को सोते समय दूध के साथ चम्मच प्रतिदिन लें तो सिरदर्द दूर हो जाता है तथा पेट भी साफ होता है। जो बच्चे तुतलाते हैं उनके लिये भी बादाम की गिरी बहुत फायदा करती है। बादाम की गिरी और चिलके के अलावा बादाम का तेल भी बहुत लाभकारी होता है। कमर दर्द में बादाम के तेल की मालिश से दर्द शीघ्र दूर हो जाता है। यदि कान में दर्द हो तो बादाम के तेल को गुनगुना करके तीन या चार बूंद कान में डाला जाए तो कान में होने वाले दर्द से छुटकारा मिलता है। कॉडलिवर की तरह बादाम का तेल क्षयरोग में लाभकारी होता है। मीठा बादाम के तेल को प्रतिदिन दूध के साथ सेवन करने से स्मरणशक्ति बढ़ती है तथा कब्ज भी नहीं होता। सुंदरता के लिये भी बादाम का उपयोग किया जाता है, रात भर भीगे हुये पांच बादाम की गिरी को घिसकर उसमें यदि साठ ग्राम गुलाबजल और पन्द्रह बूंद चंदन के इत्र को मिलाकर शीशी में भर लें। चेहरे और बदन पर जहां भी धब्बे और झाई हो इस लेप को दिन में दो तीन बार लगाएं तो धब्बे नहीं रहते। सुखी त्वचा और मुलायम हाथों के लिये भी बादाम का प्रयोग किया जाता है।पलकों और भौहों के बाल बढ़ाने के लिये भी बादाम रोग से मालिश लाभप्रद रहती है। कहने का तात्पर्य यह है कि बादाम का प्रयोग औषधि के रूप में करने से सेहत ठीक रहती है। पर ध्यान रखना चाहिए कि कडवे बादाम में एक विशेष प्रकार का विष होता है। अत: उसका सेवन नहीं करना चाहिए, रक्त पित्त के विकार वालों के लिये भी बादाम हितकर नहीं है।