बालाबेहट एक ग्राम है जो उत्तर प्रदेश जिला झाँसी के अंतर्गत स्थित है। यहाँ पर पोस्ट-आफिस भी है। ललितपुर से इस क्षेत्र तक प्रतिदिन मोटर जाती है। बरसात के दिनोें में मोटर का आना-जाना बन्द हो जाता है। मार्ग इस प्रकार है—ललितपुर से दक्षिण की ओर ललितपुर-सागर रोड पर लगभग २५ कि.मी. जाते हैं। वहाँ से १३ कि.मी.कच्चा मार्ग है। ललितपुर से अमझराघाटी होकर भी बालाबेहट जाते हैं। अमझराघाटी से ५ कि.मी. पक्का मार्ग है, बाद में लगभग १४ कि.मी. कच्चा मार्ग है। यह रास्ता अपेक्षाकृत अच्छा है। एक अन्य रास्ता करोंदा स्टेशन से है। यहाँ से १६ कि.मी. की दूरी पर उत्तर दिशा में कच्चे रास्ते से बैलगाड़ी द्वारा वहाँ पहुँचा जा सकता है। यह एक अतिशय क्षेत्र है। यहाँ की मुख्य प्रतिमा काले पाषाण की भगवान् पाश्र्वनाथ की है, जो डेढ़ फुट अवगाहना की है। यह प्रतिमा साँवलिया के नाम से प्रचलित है। कहते हैं, कि वि.सं.१५०० में किसी व्यक्ति को स्वप्न हुआ और उसने दूसरे दिन इस प्रतिमा को जमीन के अंदर से खोदकर निकाला। तभी से इसकी प्रसिद्धि हो गयी है। अब यह प्रतिमा एक विशाल मंदिर में विराजमान है जो लगभग २०० वर्ष प्राचीन है। जब कभी रात्रि में यहाँ देवगण नृत्य-पूजन आदि करते हैं, बाजे बजते हैं, यह िंकवदन्ती भी प्रचलित है। प्रतिमा के लेख से प्रतीत होता है कि यह वि.सं.१४४६ में प्रतिष्ठित हुई थी। क्षेत्र पर एक मंदिर है। एक दूसरा मंदिर भी है जो जीर्णावस्था में है, अत: खाली पड़ा है। प्रतिमाओं की कुल संख्या ५१ है। यहाँ दो धर्मशालाएँ हैं जिनमें एक जीर्ण है। गाँव में अभी-अभी कुछ जैनों के घर भी बस गये हैंं।