४. दातुन कैसे करें ? दांतों बीच अन्न कण रहने मत दीजिये।
दस—दस बार कुल्ला आप कीजिये।
शाम को भी भोजन बाद दातुन जरूर कीजिए।। बीमारी को…….
ऊपर, नीचे,अन्दर, बाहर ब्रश को घुमाइये।
जर्दा, तम्बाकू का दातुन कोई मत कीजिये।
चिकित्सक की राय को हृदय में धारिये।। बीमारी को………
५. नारियल पानी खाली पेट लें—नारियल पानी आप खाली पेट लीजिए ।
तिथि और मधुमेह में कोई मत लीजिये।
चबा—चबा भोजन को आप नित कीजिये। बीमारी को…….
६. भोजन कैसे करें ? भोजन को लेते वक्त पानी मत पीजिये।
घंटे—घंटे, घूंट—घूंट पानी ज्यादा पीजिये।
रोटी चौकर (मोटे) आटे की हो ध्यान से सुन लीजिये।
सब्जी रेशे वाली फल—सलाद आप लीजिये।
तिथियों में आप इनका त्याग कर दीजिये।।
७. कैसे सोचें (मन को स्वस्थ रखें) ?
पहले सोचे विचार को आप जाने दीजिये।
फिर सोचें नया, श्वास लम्बा लीजिये।
सोचने की गति आप धीमी कर दीजिये।
मन और ब्रेन को तनाव मुक्त कीजिये।। बीमारी को……..
जैसे ट्राफिक रूकने से गाड़ियों की कतार लग जाती है। ट्राफिक खुलने पर पहली गाड़ी पहले चलेगी, उसके बाद दूसरी,तीसरी……। नहीं तो फंस सकते हैं। तनाव पैदा हो सकता है। इसी तर्ज पर पहले सोचे हुए विचार धीरे—धीरे निकलने दीजिये। उसके बाद दूसरे को तीसरे को प्रवेश दीजिये। इससे ब्रेन में तनाव पैदा नहीं होगा)
(सोते ही १,२,३,४ की संख्या को बहुत धीमी गति से लम्बा—लम्बा बोलना प्रारम्भ करें। स्वाध्याय योग्य पाठ के प्रत्येक शब्द को धीमी गति से लम्बा—लम्बा बोलने/सोचने से व्यक्ति नींद की गोद में चला जाता है। क्योंकि इस प्रक्रिया से ब्रेन की नसों को आराम मिलता है।)
१०. सामायिक कैसी हो (आत्मा की खुराक)? सामायिक करिये प्रयोग ये कीजिये।
रीढ़ खंभ सीधा और गर्दन सीधी साधिये।
बैठें, चलें, चढ़ें जब खयाल इसका कीजिये।
कायोत्सर्ग, स्वाध्याय, ध्यान नित कीजिये।
ध्यान स्वाध्याययुक्त सामायिक साधिये स्पीड स्वाध्याय की धीमी कर दीजिये।
एक—एक शब्द का अर्थ समझिये । बीमारी को……….
११. शरीर कैसे स्वथ्य रखें? योग, जिम, भ्रमण, प्राणायाम कीजिये।
शारीरिक शक्ति से ज्यादा मत कीजिये।
विधिपूर्वक धीरे—धीरे इनको बढ़ाइये।
जीव कोई नहीं मरे विवेक इसका रखिये।
विवेक में ही धर्म है, इसे मत भूलिये।
बैठें, चलें, काम करें, ख्याल इसका कीजिये।। बीमारी को……..
१२. माता—पिता की सेवा कैसे करें ? बड़े और बूढ़ों को प्रमाण आप कीजिये।
दस मिनट उनकी कुशल क्षेम पूछिये।
कोई भी तकलीफ हो तो निराकरण कीजिये।
दया दान पुण्य हेतु राशि उन्हें दीजिये।
बड़ों की शुभ दृष्टि से फलिये व फूलिये।
माताजी के हाथ से भोजन आप लीजिये।। बीमारी को……..
१३. गुरू—भक्ति कैसी हो ? शुद्ध महाव्रतधारी गुरु मन धारिये।