Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
भक्ति-मुक्तक!
June 14, 2020
भजन
jambudweep
भक्ति-मुक्तक
गणिनी माता ज्ञानमती, इतिहास बनीं धरती का।
दीक्षा स्वर्ण महोत्सव उनका, करेगी अब धरती माँ।।
सोने से भी अधिक चमकशाली है जीवन इनका।
हीरे से भी अधिक मूल्य, करती हैं जो क्षण-क्षण का।।१।।
मेरा भी सौभाग्य खिला, जो पाई ऐसी गुरु छाया।
कहीं न मिल पाएगा जो, अनमोल रतन मैंने पाया।।
ब्रह्मचर्य व्रत माता से ले, मैंने जीवन धन्य किया।
गुण के कुछ कण भी मिल जावें, यह भाव हृदय में प्रगट हुआ।।२।।
दो सौ ग्रंथों की रचना की, जम्बूद्वीप बनाया।
तीर्थ अयोध्या मांगीतुंगी, का उद्धार कराया।।
दीक्षा तीर्थ प्रयाग में, नव-तीरथ निर्माण कराया।
महावीर की जन्मभूमि में, नंद्यावर्त बनाया।।३।।
स्वर्ण जयंती के अवसर पर, मेरी यह विनयांजलि है।
मिले सदा सानिध्य तुम्हारा, यही भक्ति पुष्पांजलि है।।
ब्राह्मी माता के समान, उपहार हो तुम धरती का।
‘‘बीना’’ चरणों में नत है, वंदन स्वीकारो हे माँ।।४।।
Previous post
तत्त्वार्थसूत्र भजन- सप्तम अध्याय!
Next post
तत्त्वार्थसूत्र भजन प्रथम अध्याय!
error:
Content is protected !!