तर्ज – झुमका गिरा रे ………………..
आरति करो रे ,
श्री अजितप्रभू के शासनदेव की आरति करो रे ||टेक ० ||
महायक्ष है नाम आपका , भक्तों की रक्षा करते |
देव शास्त्र गुरु आयतनों की , भक्ती में तत्पर रहते ||
आरति करो रे -३
सम्यक्दृष्टी उन यक्षदेव की आरति करो रे ||१ ||
अजितनाथ तीर्थंकर प्रभु की भक्ति करे जो भी प्राणी |
मनवांछा तुम पूरी करते , जीवन होता कल्याणी ||
आरति करो रे -३ ,
उन रोग , शोक , भयहर्ता देव की आरति करो रे || २ ||
रोहिणीदेवी के प्रियकारक देव यही मन अभिलाषा |
मुक्तिप्राप्ति तक जैनधर्म ही हो मम शरणागत दाता ||
आरति करो रे – ३ ,
”इंदू” उन धर्मपरायण देव की आरति करो रे || ३ ||