तर्ज – मिलो न तुम तो ……………………………….
मात पुरुषदत्ता को ध्याएं , जगमग दीप जलाएं , हृदय में ज्योति जगायें || टेक ० ||
सुमतिनाथ के शासन की , यक्षिणी कहातीं माता प्यारी हैं ||
हो …………………
जिसने है ध्याया उसके , जीवन में फ़ैली उजियारी है ||
हो …………………………
इसी हेतु तव भक्ति रचायें , श्रद्धा सुमन चढाएँ ,हृदय में ज्योति जगाएं || मात ० ||
जिनधर्मवत्सल माता , रक्षण सदा भक्तों का करती हो ||
हो ………………………
धन , सुत व सम्पति देकर , झोली सदा तुम सबकी भरती हो ||
हो …………………
मनोकामना पूरण होती , जो जिनवर गुण गायें , हृदय में ज्योति जगाएं ||मात ० ||
मनभावनी हे माता , अर्चा तुम्हारी सुखकारी है ||
हो ……………………………
रूप है मनोहर महिमा, तेरी जगत में निराली है ||
हो …………………………
” इंदू ” बस जिनधर्म न छूटे , मुक्ती तक इसे पायें , हृदय में ज्योति जगाएं || मात ० ||