भगवान ऋषभदेव विश्वशांति वर्ष मनाया गया (चैत्र कृ. नवमी-१० मार्च २०१८ से चैत्र कृ. नवमी-२९ मार्च २०१९) प्रेरणा-भारतगौरव दिव्यशक्ति शारदे माँ गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी आज हम सभी वर्तमान विश्व में उपस्थित आतंकवाद, हिंसा, विनाश, अशांति, परस्पर शत्रुता, विद्वेष, बदला लेने की भावना आदि विकृतियों से ग्रसित हो रही मानवता को दृष्टिगत कर रहे हैं। ‘अहिंसामयी शाश्वत धर्म’ का शीतल जल ही इन अग्नि ज्वालाओं के उपशमन में सहयोगी हो सकता है, यही तीर्थंकर भगवन्तों की सदाकाल से देशना रही है। व्यक्तिगत एवं सामाजिक रूप से की गई धर्माराधना, मंत्रानुष्ठान, विधि-विधान भी सम्पूर्ण वातावरण को प्रभावित करके क्षेम-सुभिक्ष-शांति-सौहार्द की स्थापना करने में अत्यन्त कार्यकारी होते हैं, यह परम सत्य है। इन्हीं विश्वकल्याणकारी भावनाओं से ओतप्रोत होकर भारतगौरव, दिव्यशक्ति, परम उपकारी परमपूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने ऋषभगिरि-मांगीतुंगी में विराजमान विश्व के सर्वाधिक उत्तुंग १०८ फुट भगवान ऋषभदेव के श्रीचरणों में स्थित होकर भगवान ऋषभदेव जन्मजयंती, चैत्र कृ. नवमी, १० मार्च २०१८ के पावन अवसर पर ‘भगवान ऋषभदेव विश्वशांति वर्ष’ मनाने की प्रेरणा प्रदान की है, जो आने वाली ऋषभ जयंती, चैत्र कृ. नवमी, २९ मार्च २०१९ तक हम सबको व्यक्तिगत शांति, सामाजिक शांति, राष्ट्रीय शांति एवं विश्वशांति हेतु जागृत होकर अपना-अपना योगदान प्रदान करने हेतु कटिबद्ध कर रहा है। आइये हम भी विश्वशांति के इस महा आयोजन में किसी न
किसी रूप में अपना सहयोग प्रदान कर पुण्यलाभ प्राप्त करें। विश्वशांति वर्ष मनाने की रूपरेखा-
(१) विश्वशांति हेतु जाप्य (मंत्र-ॐ ह्रीं विश्वशांतिकराय श्री ऋषभदेवाय नम:)
(२) भगवान ऋषभदेव मण्डल विधान
(३) णमोकार महामंत्र अथवा भक्तामर महास्तोत्र का अखण्ड पाठ (अपने समयानुसार)
(४) भगवान ऋषभदेव पर संगोष्ठी
(५) भगवान ऋषभदेव एवं विश्वशांति पर आलेख-लेखन
(६) ‘‘अहिंसा से ही विश्वशांति’’ विषय पर व्याख्यान माला
(७) भगवान ऋषभदेव की देशना पर शिक्षण-प्रशिक्षण शिविर
(८) भगवान ऋषभदेव पर सांस्कृतिक कार्यक्रम (नृत्य-नाटिका आदि)
(९) बाल विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालयों तक संगोष्ठी आदि द्वारा जागृति लाना
(१०) मैत्री, भाईचारा एवं आपसी प्रेम के उद्देश्यपूर्वक जैन-जैनेतर समाज में ‘‘बाल संस्कार शिविर’’
(११) आपसी कषायरूपी परिणामों के शमन हेतु जैन-जैनेतर बंधुओं के मध्य ‘‘युवा प्रबोधन शिविर’’
(१२) आत्म शांति हेतु ध्यान, योग, शाकाहार आदि विषयों पर संयम-शिविर
(१३) जिनमंदिरों, जन सामान्य स्थानों, सड़कों, जैन-जैनेतर सामूहिक आयोजनों आदि में विश्वशांति एवं अहिंसा से संबंधित विभिन्न प्रेरणादायी स्लोगन, सूक्ति आदि लगाना।
(१४) इस वर्ष में विभिन्न जैन अथवा हिन्दू त्यौहारों के दिन जीवदया हेतु अपने-अपने क्षेत्रों में पशु-पक्षियों के अभयदान हेतु उचित प्रयास करना।
(१५) जन सामान्य में अथवा विभिन्न सार्वजनिक प्रदर्शनियों में अहिंसक सौंदर्य सामग्री के स्टॉल लगाकर अहिंसा-संदेश का प्रचार-प्रसार करना। साथ ही इस विषय पर जैन-जैनेतर समाज में जागृति-सभाएं भी आयोजित करना।
(१६) अपने उत्तम प्रयासों से शहर आदि स्थानों पर जेल/बाल कारावास में बंद अपराधियों के समक्ष विश्वशांति, अहिंसा, मानवता आदि मनुष्य जीवन को सार्थक करने वाले सिद्धान्तों की प्रेरणा-सभाएं आयोजित करना।
(१७) इस वर्ष में आप जब भी चौबीस तीर्थंकर भगवन्तों की पूजा-आराधना से समन्वित कोई छोटा या बड़ा विधान यथा-सिद्धचक्र, इन्द्रध्वज, कल्पद्रुुम, सर्वतोभद्र आदि आयोजित करें तब विश्वशांति की विशेष मनोकामना के साथ इस आयोजन को ‘भगवान ऋषभदेव विश्वशांति वर्ष’ से संयुक्त कर दें (प्रचार सामग्री यथा-पोस्टर, बैनर आदि में लिखवा दें)।
(१८) सम्पूर्ण वर्ष में आप जो भी धार्मिक आयोजन करते हैं यथा-महावीर जयंती, अक्षय तृतीया पर्व, रक्षाबंधन, आष्टान्हिका पर्व, दशलक्षण महापर्व इत्यादि उन सभी में विश्वशांति संबंधी कोई न कोई उपरोक्त गतिविधि अवश्य करें एवं करायें। इसी प्रकार सामाजिक जागृति हेतु विविध कार्यक्रमों को आयोजित करके हम विश्वशांति की ओर एक सुंदर पहल कर सकते हैं। बंधुओं! विश्व में शांति की कामना एवं उसमें सहभागिता का भाव रखने से निश्चित ही अपने व्यक्तिगत जीवन में शांति एवं सुख का समावेश होता है।–
नोट –उपरोक्त विषयों के अतिरिक्त समय-समय पर किये जाने वाले विविध कार्यक्रमों की जानकारी पारस चैनल के माध्यम से प्रतिदिन प्रात: ६ बजे से ७ बजे के मध्य सीधे प्रसारण में प्रदान की जायेगी। इसी समय आप अपने-अपने घरों में प्रतिदिन पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी के ज्ञानवर्धक आगमोक्त मंगल प्रवचन तथा पूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिकारत्न श्री चंदनामती माताजी व पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी के शिक्षाप्रद मार्मिक उद्बोधनों का भी लाभ प्राप्त करते रहें, यही भावना है। -आवश्यक निवेदन-विश्वशांति वर्ष के अन्तर्गत आपके द्वारा जितने भी जाप्य, विधान, संगोष्ठी, आलेख-लेखन, शिक्षण-प्रशिक्षण शिविर, नृत्य नाटिका आदि उपरोक्त आयोजन किये जायें, इसकी विस्तृत एवं व्यवस्थित जानकारी अपने नाम, पते, मोबाइल नम्बर आदि के साथ निम्न पते पर डाक या ईमेल द्वारा भेजें, जिसको आगे किसी प्रकाशन में समाहित किया जा सकेगा।–
विशेष पुरस्कार –विश्वशांति मंत्र की सवा लाख अथवा इससे अधिक मंत्र जाप्य करने वाले या १०८ बार ऋषभदेव मण्डल विधान एवं इससे अधिक मंडल विधान करने वाले स्त्री-पुरुष अपने नाम, पते, मोबाइल नम्बर आदि के साथ निम्न पते पर डाक या ईमेल द्वारा पूरी जानकारी भेजें, उन्हें होली मेला, चैत्र कृष्णा एकम्, २१ मार्च २०१९ को जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में विशेष पुरस्कृत किया जायेगा।– उपलब्ध साहित्य सामग्री –उपरोक्त आयोजन हेतु भगवान ऋषभदेव मण्डल विधान, भक्तामर स्तोत्र, भगवान ऋषभदेव जीवन परिचय, भगवान ऋषभदेव नृत्य नाटिका, श्रावक-संस्कार निर्देशिका आदि पुस्तकें जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर के पते से मंगवा सकते हैं। भगवान ऋषभदेव से संंबंधित संगोष्ठी आदि हेतु बड़े ग्रंथों में श्री ऋषभदेव चरितम्, महापुराण सार आदि भी उपलब्ध हैं। साथ ही उपरोक्त उल्लिखित छोटे-बड़े अन्य मण्डल विधानों की पुस्तकें हेतु भी आप जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
-पत्राचार पता व ईमेल- भगवान ऋषभदेव विश्वशांति वर्ष कार्यालय c/o दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, पो.-जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर (मेरठ) उ.प्र.-२५०४०४ मो.-०९४११०२५१२४, ०९७१७३३१००८, ०९४५७८१७३२४, Email: jambudweeptirth@gmail.com