वर्तमान शासनपति तीर्थंकर महावीर स्वामी की जन्मभूमि बिहार प्रदेश के नालंदा जिले में ‘‘कुण्डलपुर नगरी’’ के नाम से जगविख्यात है। सन् २००१-२००२ में जब भारत सरकार द्वारा भगवान महावीर स्वामी का २६००वाँ जन्मकल्याणक महोत्सव मनाया गया, तब पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की दृष्टि भगवान की पावन जन्मभूमि कुण्डलपुर की ओर गई, अत: पूज्य माताजी ने पूर्ण आत्मविश्वास के साथ इस बात का निर्णय लिया और समाज को प्रेरणा प्रदान की कि भगवान महावीर स्वामी के २६००वें जन्मकल्याणक वर्ष के अन्तर्गत भगवान महावीर स्वामी की पावन जन्मस्थली कुण्डलपुर का भव्य विकास किया जाये। पूज्य माताजी की प्रेरणा से दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर के अन्तर्गत भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर दि. जैन समिति का गठन किया गया एवं लगभग दो एकड़ का भूखण्ड क्रय करके ‘‘नंद्यावर्त महल तीर्थ’’ के नाम से जन्मभूमि कुण्डलपुर का ऐतिहासिक विकासकार्य किया गया। शुभारंभ में २९ दिसम्बर २००२ को इस तीर्थ का शिलान्यास किया गया एवं देखते ही देखते मात्र २२ महीनों की अल्पावधि में १०१ फुट ऊँचा भगवान महावीर स्वामी का विशाल जिनमंदिर, भगवान ऋषभदेव जिनमंदिर, नवग्रहशांति जिनमंदिर, त्रिकाल चौबीसी जिनमंदिर एवं सात मंजिला नंद्यावर्त महल की अत्यन्त आकर्षक प्रतिकृति का निर्माण इस तीर्थ पर एक चमत्कार के रूप में समाज के बीच प्रकट हो गया। यह विकास कार्य प्राचीन जिनमंदिर में ३६ फुट ऊँचे सुन्दर कीर्तिस्तंभ निर्माण के साथ किया गया था, पश्चात् नंद्यावर्त महल तीर्थ का विकास करके यात्रियों के लिए यहाँ आवास, भोजनशाला आदि की समस्त डीलक्स सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई गर्इं। आज इस तीर्थ पर विश्वशांति तीर्थंकर महावीर जिनमंदिर में विराजमान अवगाहना प्रमाण भगवान महावीर स्वामी का यह चमत्कार है कि प्रतिदिन सैकड़ों-हजारों की संख्या में भक्तजन नंद्यावर्त महल तीर्थ पर आकर दर्शन करते हैं तथा पूर्ण आनंद के साथ रात्रि विश्राम, भोजन आदि सुविधाओं का लाभ उठाते हैं। इस तीर्थ के नजदीक ही भगवान महावीर निर्वाणस्थली पावापुर एवं भगवान महावीर की देशनास्थली तथा भगवान मुनिसुव्रतनाथ की जन्मभूमि राजगृही का भी दर्शन करके भक्तजन इस त्रिवेणी तीर्थ के संगम में स्नान करके अपनी आत्मा को पवित्र करते हैं। विशेषरूप से इस तीर्थ को बिहार सरकार द्वारा विशेष पर्यटन स्थल के रूप में प्रचारित किया जाता है तथा प्रतिवर्ष भगवान महावीर स्वामी की जन्मजयंती के अवसर पर राजकीय स्तर पर ‘‘कुण्डलपुर महोत्सव’’ का आयोजन करके सरकार के द्वारा जन-जन में भगवान महावीर स्वामी के अहिंसामयी सिद्धान्तों का प्रचार करने का उत्तम प्रयास भी जैन समाज के लिए गौरव का विषय है। भगवान महावीर स्वामी के इस महान तीर्थ की रज के प्रति नत-मस्तक होते हुए हम पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी के प्रति भी उपकृत हैं, जिनकी प्रेरणा से आज यह तीर्थ अहिंसामयी सिद्धान्तों के साथ समूचे विश्व में जैनधर्म की पताका को फहरा रहा है। साथ ही आपके शिष्यत्रय द्वारा किये गये इन महान प्रयासों के प्रति भी हम विनय और श्रद्धा से अपने शीश को झुकाकर उनके प्रति वंदन निवेदित करते हैं।