श्री शीतल तीर्थेश को, जो वंदे कर जोड़।
उसका मन शीतल बने, वच भी शीतल होय।।१।।
रोग-शोक का नाश हो, तन शीतल हो जाए।
फिर क्रमश: त्रैलोक्य में, शीतलता आ जाए।।२।।
कल्पवृक्ष के चिन्ह से, सहित आप भगवान।
इसीलिए इच्छा सभी, पूरी हों तुम पास।।३।।
एक बार इक शिष्य ने गुरु से, पूछा सबसे शीतल क्या है ?।।१।।