-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती
माता तेरे चरणों में, हम वंदन करते हैं।
तेरे ज्ञान की गरिमा का अभिवंदन करते हैं।।
मेरे मन के अंधेरे में, कुछ ज्ञान प्रकाश भरो।
जीवन के सबेरे में, अब कुछ तो विकास करो।।
पावन पद कमलों में, शत वन्दन करते हैं।
तेरे ज्ञान की गरिमा का, अभिवन्दन करते हैं।।१।।
चंचल चित का चिन्तन, चिरकाल से भी न रुका।
अज्ञान में उलझा मन, निज ज्ञान पे भी न टिका।।
श्रुतज्ञान के उपवन में, अभिसिञ्चन करते हैं।
तेरे ज्ञान की गरिमा का, अभिवंदन करते हैं।।२।।
शिवपथ की मंजिल का, हमें ज्ञान हुआ अब माँ।
शुद्धातम मंदिर का, अब ज्ञान मिला कुछ माँ।।
‘‘चन्दना’’ तेरे पद में, हम तर्पण करते हैं।
तेरे ज्ञान की गरिमा का, अभिवंदन करते हैं।।३।।