तर्ज—है प्रीत जहाँ की रीत सदा……
प्रभु ऋषभदेव के पुत्र भरत से, भारतदेश सनाथ हुआ।
यह आर्यावर्त इण्डिया हिन्दुस्तान नाम से सार्थ हुआ।। टेक.।।
यहाँ तीर्थंकर प्रभु लार्ड गॉड, साधूजन सेन्ट कहाते हैं। हो……
यहाँ गुलदस्ते की भांति कई, जाती व पंथ आ जाते हैं।। हो……
चैतन्य तत्त्व की प्राप्ती का-२, संचालित यहाँ से पाठ हुआ।
यह आर्यावर्त इण्डिया हिन्दुस्तान नाम से सार्थ हुआ।।१।।
भारत को भारत रहने दो, इण्डिया न यह बनने पाए। हो……
इसकी आध्यात्मिक संस्कृति का, अपमान नहीं होने पाए।। हो……
यहाँ ऋषभ, राम, महावीर, बुद्ध-२, का अमर सदा सिद्धान्त हुआ।
यह आर्यावर्त इण्डिया हिन्दुस्तान नाम से सार्थ हुआ।।२।।
यहाँ की सीता सम नारी पर, छाया न किसी की पड़ पाए। हो……
यहाँ जन्मीं ब्राह्मी माता सम, माँ ज्ञानमती के गुण गायें।। हो……
‘‘चन्दनामती’’ भारत की संस्कृति-२, का तब ही उत्थान हुआ।
यह आर्यावर्त इण्डिया हिन्दुस्तान नाम से सार्थ हुआ।।३।।