तर्ज—मेरे अंगने में……
आदिनाथ प्रभु का जनम हुआ आज है।
मरुदेवी माता पिता नाभिराज हैं।। टेक.।।
अयोध्या की धरती रतनमयी हो रही।
पन्द्रह महिने से यहाँ रत्नवृष्टि हो रही ।।
सारे नर नारी-२, करें जयकार हैं।। आदिनाथ……।।१।।
पूर्व दिशा सूरज को पाकर लाल हुई।
माता तीर्थंकर को पाके निहाल हुई।।
स्वर्गों में भी बाजे-२, बजे शंखनाद है।। आदिनाथ……।।२।।
नरकों में भी क्षण भर को शांति मानो छा गई।
सारी धरती ‘चंदनामती’ बधाई गा रही।
मानो आज सबको-२, मिला साम्राज्य है।। आदिनाथ……।।३।।