-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती
तर्ज—चाँद मेरे आ जा रे……
तीर्थ को वन्दन कर लो रे-२,
तीर्थंकर श्री पुष्पदंत प्रभु जन्मभूमि नम लो।।टेक.।।
इस भारत वसुन्धरा पर, तीर्थंकर सदा जनमते।
वे पंचकल्याणक पाकर, जग का कल्याण हैं करते।।
तीर्थ को वन्दन कर लो रे।।१।।
श्री पुष्पदन्त तीर्थंकर, काकन्दी में जन्मे थे।
सुग्रीव पिता जयरामा, माता दोनों हरषे थे।।
तीर्थ को वन्दन कर लो रे।।२।।
बस इसीलिए काकन्दी, को तीर्थ कहा जाता है।
‘‘चन्दनामती’’ इससे ही, भवसिन्धु तिरा जाता है।।
तीर्थ को वन्दन कर लो रे।।३।।