तर्ज—सावरमती के संत तूने कर दिया कमाल……
ले करके ज्ञानदीप को जला दिया मशाल।
हे ज्ञानमती मात! तूने कर दिया कमाल।।टेक.।।
साकेतपुरी के निकट टिवैâतनगर में।
हर्षित हुए माता-पिता पूनो के चांद से।।
वह चांद आज विश्व भर को कर रहा निहाल।
हे ज्ञानमती मात! तूने कर दिया कमाल।।१।।
नश्वर जगत के वैभव में तुम नहीं फंसीं।
संघर्ष सारे जीतकर मन में हुई खुशी।।
है त्याग ज्ञान में नहीं तेरी कोई मिशाल।
हे ज्ञानमती मात! तूने कर दिया कमाल।।२।।
इक ज्ञानज्योति का भ्रमण धरती पे कराया।
दूजी को निज हृदय में अखण्ड जलाया।।
पिच्छी व जिनवाणी से तेरी हो रही पहचान।
हे ज्ञानमती मात! तूने कर दिया कमाल।।३।।
गौरव अवध प्रदेश का तुमने बढ़ा दिया।
संसार में उसको प्रकाशमान कर दिया।।
जनता समूचे देश की तुमको रही निहार।
हे ज्ञानमती मात! तूने कर दिया कमाल।।४।।
हे युगप्रवर्तिका! तुम्हें शत शत करें नमन।
हे आर्यिकाशिरोमणि! गणिनी तुम्हें नमन।।
माता के पद में, ‘चंदनामती’ का झुका भाल।
हे ज्ञानमती मात! तूने कर दिया कमाल।।५।।