तर्ज—जिंदगी प्यार का गीत है……
जन्म मानव का पाया है जो,
उसे सार्थक तो करना पड़ेगा।
वंश उत्तम ये पाया है जो,
मूल्यांकन तो करना पड़ेगा।।टेक.।।
कई जन्मों का पुण्य खिला, जिससे जिनधर्म उत्तम मिला।
गुरु का उपदेश ऐसा मिला, ज्ञान का दीप मन में जला।।
पाके सम्यक्त्व के रत्न को,
शिव डगर पे तो चलना पड़ेगा।।१।।
शुद्ध भोजन करोगे यदी, बुद्धि अच्छी बनेगी तभी।
छानकर जल पिओगे यदी, वाणी पावन बनेगी तभी।।
मन की शुद्धी के हेतू तुम्हें,
स्वच्छ भोजन तो करना पड़ेगा।।२।।
जाति औ कुल की रक्षा करो, शास्त्र औ गुरु की शिक्षा वरो।
दान-पूजन के योग्य बनो, आगे दीक्षा के योग्य बनो।।
शुद्ध खानदान रखना है यदि,
जाति में ब्याह करना पड़ेगा।।३।।
अपने बच्चों को संस्कार दो, पिण्ड शुद्धी का उपहार दो।
मुक्ति का मार्ग साकार हो, निज व पर का भी उपकार हो।।
‘‘चन्दनामति’’ सुनो भाइयों!
तुम्हें कुल शुद्धि रखना पड़ेगा।।४।।