-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती
तर्ज-देख तेरे संसार…………
विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा बनी है आलीशान,
जय जय ऋषभदेव भगवान
मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र में,
पर्वत के पाषाण खण्ड में।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माता की प्रेरणा महान,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।१।।
इक सौ अठ फुट की यह प्रतिमा।
जिनशासन की अद्भुत गरिमा।।
यह आश्चर्य प्रथम है जग में जैनधरम की शान,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।२।।
शांति सिंधु आचार्यप्रवर की
परम्परा में सप्तम पीढ़ी।।
अनेकांतसागराचार्य का खिला है पुण्य महान,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।३।।
दश आचार्य का हुआ पदार्पण।
संत शताधिक प्रभु लघु नंदन।।
इक सौ पच्चिस साधु-साध्वी का बन गया कीर्तीमान,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।४।।
यह है आयडॅल ऑफ अहिंसा।
भारत की पहचान अहिंसा।।
इसे ‘‘चन्दनामती’’ हृदय से कर लो सभी प्रणाम,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।५।।
श्री रवीन्द्रकीर्ति का समर्पण।
भक्तों का अर्थाञ्जलि अर्पण।।
अमर रहेगा युग युग तक सबका तन मन धन दान,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।६।।