-आर्यिका चन्दनामती
तर्ज-धीरे-धीरे बोल कोई सुन ना ले
नमन करो भई नमन करो, गुरु चरणों में नमन करो।
श्री सप्तम पट्टाचार्य को, अनेकान्तसिंधु आचार्य को।। नमन…
गोटेगांव के दीपक कुलदीपक बने।
शान्तिसिन्धु वंशावलि के शीर्षक बने।।
ज्ञानमती माताजी की मिली प्रेरणा।
अभिनन्दनसागर सूरि की देशना।।
वंदन करो, अर्चन करो-२
श्री सप्तम पट्टाचार्य को, अनेकांतसिन्धु आचार्य को।।नमन करो…..।।१।।
शांति वीर शिव धर्म अजित श्रेयांस जी।
पुन: बने श्री अभिनन्दन आचार्य जी।।
शांतिसिंधु की यह है मूल परम्परा।
अनेकान्तसूरी तक है यह शृँखला।।
वंदन करो, अर्चन करो-२
श्री सप्तम पट्टाचार्य को, अनेकान्तसिंधु आचार्य को। नमन करो…….।।२।।
युवा जगत के यही चेतना केन्द्र हैं।
वत्सलता से पूरित इनके नैन हैं।।
मुख पर इनके मन्द मन्द मुस्कान है।
यही ‘‘चन्दनामति’’ इनकी पहचान है।।
वन्दन करो, अर्चन करो-२
श्री सप्तम पट्टाचार्य को, अनेकान्तसिंधु आचार्य को। नमन करो…….।।३।।