-आर्यिका चन्दनामती
तर्ज-इस युग की माँ शारदे!…
परमेष्ठी आचार्यश्री, सूरित अनेकांत हैं।
शांति सिंधु शृंखला, शुद्ध मुनि परम्परा के सप्तम ये आचार्य हैं।।टेक.।।
सदि बीसवीं के श्री शांतिसागर,
मुनिवर ही प्रथमाचार्य हुए।
मुनि-आर्यिकाओं को दीक्षा देकर
चउसंघ के आचार्य हुए।।
उसी वंशावलि में, आज की अवधि में, शोभित ये सप्तम आचार्य हैं।
आकर्षक मुद्रा सहित, चउसंघ के आधार हैं।
शांतिसिंधु शृंखला, शुद्ध मुनि परम्परा के सप्तम ये आचार्य हैं।।१।।
स्याद्वादमय जिनशासन प्रभावक,
सूरि अनेकांतसागर जी हैं।
आचार्यश्री अभिनंदन गुरु के,
शिष्य अनेकांतसागर जी हैं।।
युवा मार्गदर्शक, शांतिपथ प्रदर्शक, गुरुवर ये परमेष्ठी आचार्य हैं।
कल्पतरु शांति प्रभु, इनकी भक्ति के आधार हैं।
शांतिसिंधु शृंखला, शुद्ध मुनि परम्परा के सप्तम ये आचार्य हैं।।२।।
इस आधुनिक विज्ञान के युग में,
धर्म व विज्ञान हैं जुड़ गए।
देखो तभी ये मुनिराज भी,
जन-जन की आस्था के संग जुड़ गए।।
‘‘चन्दनामती’’ ये, सबके हितैषी हैं, छत्तीस निज मूलगुण पालते।
गणिनीप्रमुख माता ज्ञानमति को, ये कहते धरम मात हैं।
शांतिसिंधु शृंखला, शुद्ध मुनि परम्परा के सप्तम ये आचार्य हैं।।३।।