-आर्यिका चन्दनामती
तर्ज-देख तेरे संसार की हालत…………
सबसे बड़े प्रभु, सबसे बड़े गुरु, सबसे बड़ी माता,
झुकाओ त्रय पद में माथा।।टेक.।।
सबसे बड़े प्रभु ऋषभदेव हैं।
कर्मभूमि के प्रथम देव हैं।।
यही ऋषभगिरि पर प्रगटित हो बने जगत त्राता,
झुकाओ त्रय पद में माथा।।१।।
सबसे बड़े गुरु शांतिसागर।
सन्त संघ के प्रथम दिवाकर।।
वर्तमान के सब सन्तों का है उनसे नाता,
झुकाओ त्रय पद में माथा।।२।।
सबसे बड़ी ज्ञानमति माता।
गणिनीप्रमुख सरस्वति माता।।
बाल ब्रह्मचारिणी प्रथम ये बनीं जगत माता,
झुकाओ त्रय पद में माथा।।३।।
अवध की ये अनमोल मणी हैं।
जैन जगत की शिरोमणी हैं।।
तभी ‘‘चन्दनामति’’ तीनों की जुड़ गई गुण गाथा,
झुकाओ त्रय पद में माथा।।४।।