रचयित्री-आर्यिका चंदनामती
तर्ज-जय सियाराम………..
जय ऋषभदेव बोलो जय जय आदीनाथ-२,
प्रथम तीर्थंकर प्रभु आदीनाथ-जय जय ऋषभदेव….
वदि आषाढ़ दुतीया तिथि में, माँ मरुदेवी के आए गर्भ में।
नगरि अयोध्या का जगा सौभाग्य, जय ऋषभदेव बोलो जय जय आदीनाथ।।१।।
चैत्र वदी नवमी की तिथि में, सर्वतोभद्र महल में जनमे।
धनपति ने की रतन बरसात, बोलो जय ऋषभदेव बोलो जय जय आदीनाथ।।२।।
नवमी चैत्र वदी तिथि में ही, प्रभु ने प्रयाग में दीक्षा ले ली।
युग के प्रथम वे बने मुनिनाथ, जय ऋषभदेव बोलो जय जय आदीनाथ।।३।।
फाल्गुन कृष्णा ग्यारस तिथि को, केवलज्ञान हुआ था प्रभु को।
समवसरण में विराजे जिनराज, जय ऋषभदेव बोलो जय जय आदीनाथ।।४।।
माघ कृष्ण चौदश की तिथि में, मोक्ष प्राप्त किया कैलाश गिरि से।
सिद्धिप्रिया को किया सनाथ, जय ऋषभदेव बोलो जय जय आदीनाथ।।५।।
ज्ञानमती माँ अयोध्या में आईं, साथ में कई कई निधियाँ लाईं।
मानो आईं ब्राह्मी मात, जय ऋषभदेव बोलो जय जय आदीनाथ।।
जय आदीनाथ बोलो, जय जय ब्राह्मी मात।
जय ब्राह्मी मात बोलो, जय जय ज्ञानमति मात।।
तीर्थ अयोध्या को स्वर्ग बनाया, ‘‘चन्दनामति’’ यह सबको भाया।
स्वामी रवीन्द्रकीर्ति के साथ, जय ऋषभदेव बोलो जय-जय आदिनाथ।।