-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी
शाम सबेरे दो घड़ी तू, ह्रीं का ध्यान लगाया कर।
चौबीसों तीर्थंकर को तू, मन मंदिर में ध्याया कर।।टेक.।।
स्वर्णाक्षर ह्र के अन्दर, वृषभाजित संभव अभिनन्दन।
सुमती शीतल श्रेयो जिनवर, विमल अनंत धर्म वंदन।।
शांति कुंथु अर मल्लि जिनेश्वर, नमिप्रभ वर्धमान स्वामी।
हरित वर्ण ईकार सुपारस, पारस-चिन्तामणि नामी।।
लालकला में पद्मप्रभ अरु, वासुपूज्य मन लाया कर।
चौबीसों तीर्थंकर को तू, मन मंदिर में ध्याया कर।।१।।
ह्रीं के बायीं ओर श्वेत है, अर्धचन्द्र आकार शिला।
श्वेत चन्द्रप्रभु पुष्पदन्त की, वाणी से मन कमल खिला।।
नीली गोल बिन्दु है ऊपर, उसमें नेमी मुनिसुव्रत।
आत्मशांति दाता चौबीसों, प्रभू ‘चंदनामति’ सुखप्रद।।
ह्रीं पंचवर्णी को प्रतिदिन, हृदय कमल में लाया कर।
चौबीसों तीर्थंकर को तू, मन मंदिर में ध्याया कर।।२।।
तर्ज-मेरा नम्र प्रणाम है………..
अर्हं मंत्र महान है,
अरहंतों की शक्ति बताता, अर्हं मंत्र महान है।।
जिसके ध्यान से आत्मा में जग जाता आतमज्ञान है।
अरहंतों की शक्ति बताता, अर्हं मंत्र महान है।।टेक.।।
चार घातिया कर्म नाशकर, नंत चतुष्ट्य प्राप्त किया।
तीर्थंकर अरिहंतरूप में, समवसरण में वास किया।।
वीतराग सर्वज्ञ हितंकर प्रभु को नम्र प्रणाम है।
अरिहंतों की शक्ति बताता, अर्हं मंत्र महान है।।१।।
स्वर-व्यंजन के पहले अंतिम अक्षर से यह मंत्र बना।
तीर्थंकर की दिव्यध्वनीमय द्वादशांग का अंश बना।।
इसके ध्यान से हर प्राणी को मिल सकता श्रुतज्ञान है।
अरिहंतों की शक्ति बतात, अर्हं मंत्र महान है।।२।।
हृदय ललाट व मस्तक में, इस मंत्र को स्थापित कर लो।
अन्तर्यात्रा के माध्यम से मन उस पर स्थिर कर लो।।
तभी ‘‘चंदनमती’’ ध्यान का फल पाते गुणवान हैं।
अरिहंतों की शक्ति बताता, अर्हं मंत्र महान है।।३।।
तर्ज – तन डोले……..
णमोकार बोलो, फिर आँख खोलो, सब कार्य सिद्ध हो जाएँगे,
नर जन्म सफल हो जाएगा।।
प्रात:काल उषा बेला में बोलो मंगल वाणी।
हर घर में खुशियाँ छाएँगी, होगी नई दिवाली।।
हे भाई………………….
प्रभु नाम बोलो, निजधाम खोलो, सब स्वार्थ सिद्ध हो जाएँगे।
नर जन्म सफल हो जाएगा।।१।।
परमब्रह्म परमेश्वर की शक्ति यह मंत्र बताता।
णमोकार के उच्चारण से अन्तर्मन जग जाता।।
हे भाई………………..
नौ बार बोलो, सौ बार बोलो, सब स्वार्थ सिद्ध हो जाएँगे,
नर जन्म सफल हो जाएगा।।२।।
ॐ शब्द का ध्यान ‘‘चंदना’’ मन को स्वस्थ बनाता।
इसके ध्यान से मानव इक दिन परमातम पद पाता।।
हे भाई………………
ओमकार बोलो, शिवद्वार खोलो, सब स्वार्थ सिद्ध हो जाएँगे।
नर जन्म सफल हो जाएगा।।३।।