तर्ज—पंखिड़ा……
वंदना करूँ मैं प्रभू पार्श्वनाथ की।
अश्वसेन और माता वामा लाल की।।
वंदना……वंदना……वंदना……वंदना……।। टेक.।।
देखो वाराणसी से प्रभू के भक्त आये हैं।
प्रभु के जन्म की खुशी में सुन्दर रत्न लाए हैं।।
मिलके आओ, मिलके गाओ, मिलके करो जी।
वंदना चरण में करके पुण्य भरो जी।। वंदना……।।१।।
देखो अहिच्छत्र से प्रभू के भक्त आए हैं।
केवलज्ञान की खुशी में सुन्दर गीत गाये हैं।।
मिलके आओ, मिलके गाओ, मिलके करो जी।
वंदना चरण में करके पुण्य भरो जी।। वंदना……।।२।।
देखो गिरि सम्मेद से प्रभू के भक्त आए हैं।
प्रभु के मोक्ष की खुशी में सभी लाडू लाए हैं।।
मिलके आओ, मिलके गाओ, मिलके करो जी।
वंदना चरण में करके पुण्य भरो जी।। वंदना……।।३।।
सारे देश के पुजारी भक्त दर पे आते हैं।
‘चन्दनामती’ ये भक्ति करके पुण्य पाते हैं।।
मिलके आओ, मिलके गाओ, मिलके करो जी।
वंदना चरण में करके पुण्य भरो जी।। वंदना……।।४।।