-प्रज्ञाश्रणमी आर्यिका चंदनामती
तर्ज-दीदी तेरा देवर दीवाना…..
जिनवरों में जिनवर हैं प्यारे, पारसनाथ माता वामा के दुलारे।
तेइसवें तीर्थंकर हमारे, पारसनाथ माता वामा के दुलारे।।टेक.।।
जय जय हो, जय जय पारसनाथ जी।।
वाराणसी में जनम जब हुआ, अश्वसेन महल जगमगाने लगा था।
जिनवर रवी का उदय जब हुआ, तो मिथ्यात्व का अंधकार भगा था।।
सांवरिया के गूँजे जयकारे, पारसनाथ माता वामा के दुलारे।।१।।
है यह तृतीय सहस्राब्दि प्रभु की, महोत्सव सभी मिल के उनका मनाओ।
मिली प्रेरणा ज्ञानमति माताजी की, बनारस नगर को पुन: अब सजाओ।।
गाएँ गीत नर-नारी सारे, पारसनाथ माता वामा के दुलारे।।२।।
जीवन सभी का मंगलमयी हो, यही पार्श्वप्रभु से निवेदन है मेरा।
मिले ‘‘चन्दनामति’’ यह शक्ती सभी को, करें हम सदा नाथ उत्सव ही तेरा।।
घर-घर गूंजे तेरे जयकारे, पारसनाथ माता वामा के दुलारे।।३।।