-आर्यिका चन्दनामती
तर्ज-श्री सिद्धचक्र का पाठ……..
श्री तीस परम चौबीस, सात सौ बीस जिनेश्वर ध्याऊँ,
भवबंधन शीघ्र मिटाऊँ।
त्रय लोक कहे परमागम में,
है मध्यलोक इनके मधि में।
कृत्याकृत्रिम जिनचैत्य वंदना गाऊँ,
भवबंधन शीघ्र मिटाऊँ।
ढाई द्वीपों में पाँच भरत,
है पाँच क्षेत्र शुभ ऐरावत।
दस क्षेत्रों के त्रैकालिक जिनवर ध्याऊँ,
भवबंधन शीघ्र मिटाऊँ।
सुर इन्द्र सदा वंदन करते,
हम भी परोक्ष अर्चन करते।
प्रत्यक्ष देशना मिले भावना भाऊँ,
भवबंधन शीघ्र मिटाऊँ।
जिसने सच्चा श्रद्धान किया,
निज आत्मा का उत्थान किया।
इक चाह ‘‘चन्दनामती’’ सिद्धपद पाऊँ,
भवबंधन शीघ्र मिटाऊँ।