-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती
तर्ज-कान्ची हो कान्ची रे……..
आओ रे आओ रे सब मिल के आओ, प्रभु जी का उत्सव मनाओ रे।
हो………..
गाओ रे गाओ रे सब मिलके गाओ, पुष्पदंतनाथ गुण गाओ रे।।
हो……।।टेक.।।
नवमें तीर्थेश जो जगत् ईश हैं, पुष्पदंत प्रभु का मस्तकाभिषेक है।
स्वर्ण कलश हाथ में, लेके सबको साथ में,
जिनवर पे कलशा ढुराओ रे…….हो….ओ…..।।आओ रे.।।१।।
नीर क्षीर धार वैâसी मनोहारी है, इनसे प्रभु की छवि लगती प्यारी-प्यारी है।
देखो वीतराग छवी, इनकी करो भक्ति सभी,
जय जय से नभ को गुंजाओ रे…..हो….ओ….।।आओ रे.।।२।।
केशर से केशरियानाथ बन गये, ‘‘चंदनामती’’ ये तीर्थनाथ बन गये।
होली खेलो संग में, प्रभु के भक्ति रंग में,
रंग गुलाल उड़ाओ रे……..हो………ओ…….।।आओ रे.।।३।।