रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती
तर्ज—जिन्दगी प्यार का गीत है……….
गौतम गणधर की वाणी सुनो,
ज्ञान अमृत के स्वादी बनो।
वीर प्रभु दिव्यध्वनि को सुनो,
अपने आतम में उसको गुनो।।टेक.।।
आज हम सबका यह पुण्य है, पाया धरती पे नर जन्म है।
इसमें जिन भक्ति ही मुख्य है, गुरु की वाणी से शिव सौख्य है।
वीर वाणी का अमृत चखो,
गुरु गौतम के श्रुत को सुनो।। गौतम.।।१।।
आयुष्मन्तों ! सुना मैंने है, ये वचन गणधर स्वामी कहें।
मुनि—श्रावक ये दो धर्म हैं, शक्तिसम इनका पालन करें।।
सुदं मे आउस्संतो सुनो,
श्रुत का चिन्तन करो औ गुनो।।गौतम.।।२।।
गणिनी श्री ज्ञानमती माता ने, गणधर वाणी बताई हमें।
उसको प्रतिदिन पढ़ें हम सभी, ‘‘चंदनामति’’ अमर हो कृती।।
वीर प्रभु के चरण में नमो,
गुरु गौतम के भी पद नमो।।गौतम.।।३।।