रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती
तर्ज—चांदनपुर के गाँव में. …………..
मांगीतुंगी तीर्थ से आमंत्रण आया है, हम सब मांगीतुंगी जाएंगे।
मांगीतुंगी जाएंगे, वहाँ पंचकल्याण रचाएंगे।। मांगीतुंगी….।।टेक०।।
विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा, पर्वत पर वहाँ प्रगट हुई।
ऋषभदेव भगवान की इक सौ अठ फुट प्रतिमा राज रही।।
उसी के पंचकल्याणक का अब अवसर आया है,
हम सब मांगीतुंगी जाएंगे।।१।।
विश्वविभूती ज्ञानमती, माताजी की यह महिमा है।
सन् उन्निस सौ छियानवे के, चातुर्मास की गरिमा है।।
उनकी ही प्रेरणा का प्रतिफल सम्मुख आया है,
हम सब मांगीतुंगी जाएंगे।।२।।
विश्व के आश्चर्यों में यह आश्चर्य प्रथम बन जाएगा।
सारा जग इस वीतराग प्रतिमा को शीश नमाएगा।।
पंचमकाल में पहला स्वर्णिम अवसर आया है,
हम सब मांगीतुंगी जाएंगे।।३।।
सभी दिगम्बर जैनों ने अपनी अर्थांजलि दी इसमें।
तभी ‘‘चन्दनामती’’ आज प्रतिमा प्रगटी है पर्वत में।।
अब रवीन्द्रकीर्ति ने सब भक्तों को बुलाया है,
हम सब मांगीतुंगी जाएंगे।।४।।