-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती
तर्ज-अरे रे मेरी ………….
करो रे अभिषेक प्रभू का, पुष्पदंतेश प्रभू का,
जयरामा माता के लाल का।।करो रे.।।
काकंदी जी तीर्थ में प्रभू विराजमान,
यही नगरी है इनका जनमस्थान।
पुष्पदंत प्रभु को है मेरा प्रणाम,
इनका नाम जपने से बनते हैं काम।।करो रे.।।टेक.।।
नवमें तीर्थंकर पुष्पदंतनाथ हैं,
शुक्रग्रह शांतिकारक प्रभु आप हैं।
काकंदी में देखो वैâसा आनन्द हो रहा,
प्रभु जी के दर्श करके हर्ष हो रहा।।करो रे.।।१।।
राजधानी दिल्ली से उपहार मिला है,
काकंदी में देखो नया मंदिर बना है।
ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा मिली,
भक्तों के हृदय में ज्योति ज्ञान की जली।।करो रे.।।२।।
सभी भक्त स्वस्थ व चिरायु बनेंगे,
अपनी मनोकामनाएं पूरी करेंगे।
रोग शोक अपने सभी नष्ट करेंगे,
‘‘चंदनामती’’ वे सुख भण्डार भरेंगे।।करो रे.।।३।।