-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी
तर्ज—बहुत प्यार करते हैं हम……
शांतिनाथ प्रभु को है, मेरा नमन।
चरण में समर्पित-२ हैं भक्ती सुमन।।
शांतिनाथ……।। टेक.।।
माँ ऐरादेवी के घर, रत्न खूब बरसे।
हस्तिनापुरी में पिता, विश्वसेन हरषे।।
ज्येष्ठ वदी चौदश को-२, हुआ प्रभु जनम।।
शांतिनाथ……।।१।।
चक्रवर्ती पाँचवें वे, शांतिनाथ स्वामी हैं।
कामदेव तीर्थंकर की, पदवी से नामी हैं।।
हस्तिनापुरी की धरती-२, हुई धन्य धन।।
शांतिनाथ……।।२।।
राजसुख को भोग उसको, त्याग दिया क्षण में।
बनकर के जिनवर राजे, समवसरण में।।
‘चंदना’ हुए वे अपने-२, आप में मगन।।
शांतिनाथ……।।३।।