भजन
-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती
तर्ज-जय जय माँ……….
क्षीरोदधि के जल से, मस्तकाभिषेक करो।
श्री पुष्पदंत प्रभु का, मस्तकाभिषेक करो।।टेक.।।
काकंदी नगरी में, यह मंगल अवसर है।
जहाँ नूतन मंदिर में, नवमें तीर्थंकर हैं।।
उन तीर्थंकर पद में, वंदन सिर टेक करो।
क्षीरोदधि के जल से, मस्तकाभिषेक करो।।१।।
गणिनी माँ ज्ञानमती, की सम्प्रेरणा मिली।
प्रभु जन्मभूमि में तब, पावन नवज्योति जली।।
उस तीरथ के पद में, वंदन सिर टेक करो।
क्षीरोदधि के जल से, मस्तकाभिषेक करो।।२।।
प्रभु दर्श करें जो भी, वे स्वस्थ चिरायु रहें।
प्रभु प्रतिमा जग भर को, सुख शांति प्रदान करे।।
सुखकारी प्रभु पद में, वन्दन सिर टेक करो।
क्षीरोदधि के जल से, मस्तकाभिषेक करो।।३।।
ग्रह शुक्र शांतिकारक, हैं पुष्पदंत स्वामी।
‘‘चंदनामती’’ इनकी, भक्ती है कल्याणी।।
ग्रह शांति हेतु प्रभु को, वंदन सिर टेक करो।
क्षीरोदधि के जल से, मस्तकाभिषेक करो।।४।।