महामहोत्सव आया है, चलो जिनवर ने बुलाया है।
सबसे बड़े प्रभु ऋषभदेव ने, मांगीतुंगी बुलाया है।।
महामहोत्सव आया है….।।टेक.।।
प्रेम से बोलो-जय आदीश्वर
सब मिल बोलो-जय वृषभेश्वर।।टेक.।।
सबसे बड़ी माता ने, सबसे ऊँची प्रतिमा बनवाई।
ज्ञानमती माताजी गणिनी-प्रमुख आर्यिका कहलाईं।।
उसी मूर्ति के पंचकल्याण का, स्वर्णिम अवसर आया है।
महामहोत्सव आया है………।।१।।
महाराष्ट्र है राष्ट्र का गौरव, सारे जग में नाम बड़ा।
मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र, नासिक जनपद में धाम कहा।।
निन्यानवे करोड़ मुनी का, मोक्षधाम कहलाया है।
महामहोत्सव आया है………।।२।।
भक्तों ने चामुण्डराय बन, माँ की इच्छा पूर्ण किया।
नख से शिख तक प्रतिमा के, निर्माण में धन को जोड़ दिया।।
तभी ‘‘चन्दनामती’’ मूर्ति ने, अपना रूप दिखाया है।
महामहोत्सव आया है………।।३।।