तर्ज—जब से प्रभु दर्श मिला……
सबसे बड़ी मूर्ति का, मांगीतुंगी तीर्थ का,
दुनिया में नाम हो रहा है, मूर्ति का निर्माण हो गया है।।टेक.।।
ऋषभदेव प्रभुजी की प्रतिमा-२।
बन गई धरा की यह गरिमा-२।।
जैन संस्कृति की धरोहर-२।
हो गई यह सचमुच मनोहर-२।।
देखो जा के पास में, भक्ति लेके साथ में,
ऋषभगिरि नाम हो गया है, मूर्ति का निर्माण हो रहा है।।१।।
गणिनी माता ज्ञानमती जी-२।
प्रेरणा मिली है उन्हीं की-२।।
भक्त सभी, उसमें जुट पड़े-२।
सबके भाव, दान में बढ़े-२।।
तुम भी प्रभु का ध्यान करो, मूर्ति का गुणगान करो,
सबसे बड़ा काम हो गया है, मूर्ति का निर्माण हो गया है।।२।।
प्रतिमा इक सौ, आठ फुट की है-२।
विश्व की अनमोल यह कृती है-२।।
भाव है ये ‘‘चन्दनामती’’-२।
इच्छाएं हो सबकी पूर्ती-२।।
हुई प्रतिष्ठा ठाठ से, हम सभी हैं साथ में,
गौरव महान हो रहा है, मूर्ति का निर्माण हो गया है।।३।।