तर्ज-अरे जग जा रहे चेतन…….
जिओ युग युग हे माँ ज्ञानमति!
हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं।
रहो स्वस्थ चिरायू मातश्री!
हम यही भावना करते हैं।।टेक.।।
पहले निज को तीर्थ बनाया,
फिर तीर्थों की कीर्ति ब़ढ़ाया।
त्वं जीव, नंद, वर्धस्व माँ!
हम यही भावना करते हैं।।१।।
तुम भारत की शान हो माता,
संस्कृति का अभिमान हो माता।
सदा देती रहो वरदान माँ!
हम यही भावना करते हैं।।२।।
तुममें ज्ञान अपार भरा है,
ग्रंथों का भण्डार भरा है।
करो ‘‘चन्दना’’ सबको निहाल माँ,
हम यही भावना करते हैं।।३।।
नजर लगे ना तुमको माता,
स्वस्थ रहो तुम मेरी माता।
कृपादृष्टि रहे संसार पर,
हम यही भावना करते हैं।।४।।