तर्ज-हम जैन कुल में जन्मे हैं……..
गणिनी ज्ञानमती माता पर, अभिमान करो रे।
ये तो जैन कुल की शान हैं, गुणगान करो रे।।टेक.।।
इनने भारतीय संस्कृति की शान बढ़ाई,
ऋषभदेव प्रभु की सबसे बड़ी मूर्ति बनाई।।
मूर्ति प्रेरिका इस माता पर, अभिमान करो रे।
ये तो जैन कुल की शान हैं, गुणगान करो रे।।१।।
भाग्यशाली आप और हम, जो जन्मे आज हैं,
मूर्ति बनते हुए देखने का, जगा भाग्य है।
अपने पुण्य व सौभाग्य पर, अभिमान करो रे।
गणिनी ज्ञानमती माता पर, अभिमान करो रे।।२।।
जरा कल्पना करो, कि चौथा काल कैसा था,
ऋषभदेव पुत्री ब्राह्मी माँ का, त्याग कैसा था।
उनकी प्रतिकृति का ‘‘चन्दना’’, गुणगान करो रे।
गणिनी ज्ञानमती माता पर, अभिमान करो रे।।३।।