तर्ज-ऐ मालिक तेरे वंदे हम……….
शरदपूनों का ये चांद है गणिनी श्री ज्ञानमति मात है।
इनकी पूजा करें, इनकी भक्ति करें, दिखती ये ब्राह्मी सी मात हैं।।शरद पूनो…।।टेक.।।
ज्ञान अमृत से ये तृप्त हैं। हम तो जग में ही संतप्त हैं।।
इनको वंदन करें, ज्ञान के कण लहें, देंगी श्रुतज्ञान की बात हैं।।शरद पूनो…….
दो सौ ग्रन्थों की रचना किया। जम्बूद्वीप भी बनवा दिया।।
ज्ञान ज्योती जली, देश भर में चली, प्रेरणास्रोत ये ख्यात हैं।।शरद पूनो…….
बालसतियों की बगिया खिली। ज्ञानमति मात पहली मिलीं।।
इनसे शिक्षा लहें, ‘‘चन्दनामति’’ कहे, ज्ञान की ये सदा बात हैं।।शरद पूनो……….