भवनवासिनोऽसुरनागविद्युत्सुपर्णाग्निवातस्तनितोदधिद्वीपदिमारा:।।१०।।
‘असुरकुमाराणां पज्र्बहुलभागे भवनानि वर्तन्ते ।
शेषाणां नवानां खरबहुलभागे भवनानि सन्ति ।
अथेदानीं द्वितीयस्य निकायस्य उत्सर्गापवादसंज्ञाविज्ञापनार्थं सूत्रमिदमाहु-
व्यन्तरा: किन्नरकिम्पुरुषमहोरगगन्धर्वयक्षराक्षसभूतपिशाचा:।।११।।
व्यन्तरा: विविधदेशान्तराणि निवासा येषां ते व्यन्तरा: इयं सामान्यसंज्ञा अन्वर्था वर्तते सत्यार्था वर्तते। ‘कानि देशान्तराणि तेषां निवास इति चेत् ?
निरूपयामि—एतस्माज्जम्बूद्वीपात् असङ्ख्येयद्वीपसमुद्रात् व्यतिक्रम्य स्थिते खरपृथ्वीभागे किन्नरकिम्पुरुषमहोरगगन्धर्वयक्षराक्षसभूतपिशाचानां सप्तप्रकाराणां व्यन्तराणां निवासा: सन्ति राक्षसानान्तु निवासा: तद्भागसमे खरभागसमपज्र्बहुलभागे वर्तन्ते।। किन्नराश्च किम्पुरुषाश्च महोरगाश्च गन्धर्वाश्च यक्षाश्च भूताश्च पिशाचाश्चेति द्वन्द्व: ते तथोक्ता:। एते अष्टप्रकारा व्यन्तरा विशेषसंज्ञा ज्ञातव्या:, देवगतिविशिष्टनामकम्र्मोदयसमुत्पन्ना इत्यर्थ:।
भवनवासी देवों के असुरकुमार,नागकुमार,विद्युत्कुमार, सुपर्णकुमार, अग्निकुमार, वातकुमार, स्तनितकुमार, उदधिकुमार, द्वीपकुमार और दिक्कुमार ये दस भेद हैं।।१०।।
वशिष्ट नामकर्म उदयजनित देवत्व स्वभाव होने पर भी इनकी वेश-भूषा, यान-वाहन और क्रीडा आदि नृपकुमारों के समान होती है इसलिये सब भवनवासियों में कुमार शब्द रूढ़ है। रत्नप्रभा के पज्र्बहुल भाग में असुरकुमारों के भवन हैं और खर पृथ्वी भाग में ऊपर नीचे एक-एक हजार योजन छोड़कर शेष नौ प्रकार के कुमारों के भवन हैं। अब दूसरे निकाय की सामान्य और विशेष संज्ञा का निश्चय करने के लिये आगे का सूत्र कहते हैं- व्यन्तर देव आठ प्रकार के हैं- किन्नर, किम्पुरुष, महोरग, गन्धर्व, राक्षस, भूत, और पिशाच।।११।।
जिनका नाना प्रकार के देशों में निवास है वे व्यन्तर देव कहलाते हैं। यह सामान्य संज्ञा सार्थक है।
प्रश्न – कौन-कौन से देश में उनका निवास है ?
उत्तर – इस जम्बूद्वीप के असंख्यात द्वीपों और समुद्रों को लाँघकर प्रथम भूमि के खर पृथिवी भाग में किन्नर, किम्पुरुष, महोरग, गन्धर्व, यक्ष, भूत और पिशाच ये सात प्रकार के व्यन्तर रहते हैं तथा खर भाग के समान ही पज्र्बहुल भाग में राक्षसों का निवास है । इन किन्नर आदि शब्दों में द्वन्द्व समास है। यह किन्नर आदि आठ प्रकार के व्यन्तरों की विशेष संज्ञा जाननी चाहिये । यह संज्ञा देवगति नामकर्म के उदय से होती है ।