अहो ! यह भवसमुद्र दुरन्त है—इसका अन्त बड़े कष्ट से होता है। इसमें व्याधि तथा जरा—मरण रूपी अनेक मगरमच्छ हैं, निरन्तर उत्पत्ति या जन्म ही जलराशि है। इसका परिणाम दारुण दु:ख है।