जो धार्मिकजनों में भक्ति (अनुराग) रखता है, परम श्रद्धापूर्वक उनका अनुसरण करता है तथा प्रियवचन बोलता है, उस भव्य सम्यग्दृष्टि के वात्सल्य होता है।