मंच पर उपस्थित आचार्यगण, परमपूज्य ज्ञानमती माताजी, पूज्यनीय चंदनामती माताजी, पूज्य स्वामी रवीन्द्रकीर्ति जी। स्वागत समिति के अध्यक्ष श्रीमान जे.के. जैन जी, स्वागताध्यक्ष श्री सुरेश जैन जी, मेरे साथ यहाँ पर उपस्थित भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री श्याम जाजू जी, महाराष्ट्र सरकार के धर्मनिष्ठ मंत्री क्योंकि अभी-अभी कुंभ का आयोजन भी किया था, ऐसे श्री गिरीश महाजन, यहाँ के लोकप्रिय सांसद सुभाष भामरे जी, हरिश्चन्द्र चव्हान जी, सीमा हीरे जी, दीपिका चव्हान जी, राजेन्द्र पाटणी जी, दादाभुसे जी और देश भर से यहाँ इस महान उत्सव के अंदर भक्तिसाधना हेतु पधारे सभी भाईयों और बहनों को मेरा प्रणाम।
आज मैं यहाँ बोलने के लिए नहीं आया हूँ क्योंकि हमारा काम ही है-बोलना। हर जगह जाते हैं, वहाँ बोलते ही रहते हैं। मैं यहाँ पूज्य माताजी को सुनने के लिए आया था, उनका आशीर्वाद प्राप्त करने आया था और विशेषकर युगों युगों में जो काम होता है, ऐसा एक धर्मकार्य यहाँ हो रहा है इसके साथ अपने आपको यहाँ जोड़ने आया हूँ। मुझे लगता है कि मेरे यहाँ आने के तीनों उद्देश्य समाप्त हो गये हैं, मुझे आज्ञा दिया है कि मैं कुछ बोलूँ।
भाईयों और बहनों यह देश एक अजीब प्रकार का देश है। दुनिया के बहुत सारे लोग आज भी इस देश को समझ नहीं सके हैं। क्योंकि देश की रचना, इस देश का पीठ जिओ पॉलीटेक्निकल नहीं है। मतलब भू राजनैतिक राष्ट्र नहीं है। इस देश का निर्माण कोई राजा की सीमाओं ने नहीं किया है। यह देश जिओ कल्चर बेस है, भू सांस्कृतिक बेस है। यह भारतीय संस्कृति ने अपनी सीमाओं को बनाकर इस देश की रचना की है। इसलिए संस्कृति के आधार पर बना हुआ यह भारत देश दुनिया में एकमात्र देश है जो जिओ पॉलीटेक्निलक बेस नहीं, जिओ कल्चर बेस है। जिओ कल्चर बेस तो शाश्वत होता है, तो हम सबकी जिम्मेदारी है जनसंस्कृति को बचाकर रखें, उसका संरक्षण करें, संवर्धन करें, धर्म को हम बचाकर रखें।
कई बार बहुत सारे आक्रमण हुए दुनिया भर से, अनेक मतावलम्बियों ने यहाँ शासन किया लेकिन हमारी संस्कृति को कोई छू नहीं सका। अनेक प्रकार के धर्म, मत, सम्प्रदाय वह नष्ट हो गये लेकिन हमारी संस्कृति और हमारे मूल धर्म अपने आपको बचाकर दुनिया का मार्गदर्शन करने के लिए आज भी खड़े हैं। इसका कारण है कि हमेशा इस देश ने योद्धाओं के सामने, विजेताओं के सामने शीश नहीं झुकाए, राजाओं के सामने नहीं झुकाए। जिन्होंने इतिहास बनाया, उन्होंने संतों के सामने, विद्वानों के सामने शीश झुकाए और इसी का कारण है कि अखण्ड प्रवाह की तरह हमारी यह सांस्कृतिक धारा आज भी बहती है और मुझे विश्वास है कि दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान अगर कोई एक जगत में मिल सकता है, तो वह भारतीय संस्कृति के अंदर मिल सकता है और कहीं पर नहीं। मित्रों चाहे सनातन धर्म हो या श्रमण सम्प्रदाय के जैन मत हो, बौद्ध मत हो, यह जो अखण्ड धारा चली है इसने आज दुनिया भर को आकर्षित करने का काम किया है।
मैं आज यहाँ जब मांगीतुंगी के उत्तुंग शिखर भगवान ऋषभदेव महाराज की १०८ फुट ऊँची और अगर नीचे का आसन और केश को गिन लिया जाये, तो १२४ फुट ऊंची एक ही शिला पर मूर्ति को देखता हूँ तब मुझे मालूम पड़ता है कि ईश्वर की कृपा और माता ज्ञानमती जी के संकल्प के अतिरिक्त कुछ दूसरा इस कार्य को सम्पन्न करने योग्य नहीं हो सकता है। यह मानव से होने वाला कार्य नहीं है। लेकिन आप लाखों करोड़ों लोगों ने छोटा-छोटा योगदान देकर और माताजी के संकल्प ने हमारी दृष्टि के सामने इस काम को परिपूर्ण किया है।
आज भारतीय जनता पार्टी के सभी नेता यहाँ आये हैं। हमें मंच से संतों के द्वारा माताजी के द्वारा आग्रह किया गया है कि यहां व्यवस्था हों, मैं यह कहना चाहता हॅूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार चाहे यहाँ पर हो या कहीं पर हो, उसका काम ही व्यवस्था करना है और जहाँ धर्म स्थान हो, वहाँ पर तो विशेषरूप से व्यवस्था करनी पड़ती है। क्योंकि यह स्थान सालों तक न केवल जैनियों के लिए जैनेतर लोगों के लिए श्रद्धा का केन्द्र बने इसमें समाज की और देश की दोनों की भलाई है। आज नरेन्द्र भाई पूरे देश में ही नहीं मगर देश के माध्यम से, देश के प्रधानमंत्री पद को प्राप्त करने के बाद पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति का ध्वज बहुत ऊँचा हो, उसका प्रयास कर रहे हैं। पूरी दुनिया में जब नरेन्द्र भाई को देश का प्रधानमंत्री बनकर बोलने का मौका मिला, तब उन्होंने इस मौके पर कहा कि हमारे यहाँ लाखों साल पुरानी संस्कृति है। मालूम नहीं है कि कितनी साल पुरानी है। क्योंकि हमने कभी इसको संजोया नहीं है। मगर कई सारी ऐसी जीवन जीने की पद्धति अपनाई है जो मानव कल्याण के लिए उपयोगी है। इसमें एक पद्धति है योग। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया अगर योग के शरण में आती है तो दवा के बगैर जीवन आज भी संभव है। मुझे कहते हुए हर्ष है कि १७० देशों ने बहुत कम समय के अंदर योग दिन मनाने के लिए स्वीकार किया और आज पूरी दुनिया में योग के माध्यम से भारतीय संस्कृति को स्वीकार करते हुए दिखाई पड़ रहा है।
हम मानते हैं कि देश का भौतिक विकास होने मात्र से ही देश का कल्याण नहीं है। देश की आध्यात्मिक ऊँचाई अगर एक इंच भी कम होती है, तो बहुत सारे किये गये भौतिक विकास का कोई भी मतलब नहीं रह जाता। आध्यात्मिक ऊँचाई को प्राथमिकता देते हुए भौतिक विकास और सुख-समृद्धि को अंतिम आदमी तक पहुँचाने के लिए यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार काम कर रही है। और मुझे बहुत आनंद है कि इस काम में देश भर के सभी तपस्वियों का, ऋषियों का, संतों का, सभी धर्म के लोगों का आशीर्वाद प्राप्त है।
मैं आज इस मंच से बैठे हुए सभी आचार्यगण और पूज्य ज्ञानमती माताजी को, स्वामी रवीन्द्र जी को, चंदनामती माताजी को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि इस तीर्थ को महिमामण्डित करने के लिए और यहाँ पर सारी व्यवस्थाओं को जल्दी से जल्दी करने के लिए भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र सरकार निश्चित ही आपके कहे बगैर सभी प्रकार के प्रयास करेगी और आज मुझे यहाँ उपस्थित रहने का मौका दिया इसलिए स्वागत समिति को मैं हृदय से धन्यवाद देता हॅूँ कि आज बहुत बड़े पुण्यशाली काम के साथ मुझे हिस्सा बनाने के लिए, माताजी ने जोड़ने के लिए आमंत्रित किया है फिर से यहाँ पर आये हुए सभी जैनधर्म के अनुयायी को, मेरे सामने इन्द्र-इन्द्राणी के रूप में बैठे हुए सभी लोगों को प्रणाम करके मैं अपनी बात को विराम दूता हूँ।
गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के साथ विराजमान प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी
एवं महोत्सव अध्यक्ष पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी।
महोत्सव में प्रमुख सान्निध्य प्रदान कर रहे सप्तम पट्टाचार्य श्री अनेकांतसागर जी महाराज एवं मूर्ति निर्माण की प्रेरणास्रोत पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी को श्रीफल समर्पित करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते भाजपा अध्यक्ष श्री अमित जी शाह एवं उनके साथ विशेषरूप से पधारे भाजपा उपाध्यक्ष श्री श्याम जी जाजू।
महोत्सव में सभा का दीप प्रज्ज्वलन करते श्री अमित जी शाह एवं उनके साथ पधारे श्री श्याम जी जाजू,
सांसद श्री सुभाष जी भामरे-धूलिया व स्थानीय विधायिका सौ. दीपिका चव्हाण।
साथ में उपस्थित समिति के अध्यक्ष पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी, स्वागताध्यक्ष श्री जे.के. जैन-दिल्ली, कार्याध्यक्ष श्री अनिल जैन-दिल्ली, मंत्री श्री विजय जैन आदि।
माननीय अमित जी शाह को मंगल रजत कलश भेंट करते पूज्य पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी।
पूज्य स्वामीजी द्वारा विशेष माल्यार्पण से माननीय श्री अमित जी शाह का सम्मान।
माननीय अमित जी को गुलदस्ता भेंट करते स्वागताध्यक्ष श्री जे. के. जैन पूर्व सांसद-दिल्ली एवं उनके साथ महोत्सव के सौधर्म इन्द्र श्री जे.सी. जैन-हरिद्वार। विशेष उपस्थित श्री राजेन्द्र जी पाटणी (विधायक-वाशिम)
पूज्य स्वामीजी के साथ विशाल माल्यार्पण से अमित जी का अभिनंदन करते स्वागताध्यक्ष श्री जे.के. जैन, पूर्व सांसद-दिल्ली, स्वागताध्यक्ष श्री सुरेश जैन कुलाधिपति-मुरादाबाद, कार्याध्यक्ष-श्री अनिल जैन-दिल्ली, कोषाध्यक्ष श्री प्रमोद कासलीवाल-औरंगाबाद, मंत्री श्री संजय पापड़ीवाल-औरंगाबाद, मंत्री श्री भूषण कासलीवाल-चांदवड़, मंत्री श्री विजय जैन-हस्तिनापुर, सदस्य श्री चन्द्रशेखर कासलीवाल-चांदवड़, श्री शुभचंद जैन-लखनऊ आदि।
मूर्ति निर्माण कमेटी द्वारा प्रस्तुत पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के जीवन वृत्त पर आधारित ‘‘दिव्य शक्ति’’ नामक टेलीफिल्म की सी.डी. का विमोचन करते माननीय श्री अमित जी शाह। विमोचन कराते डॉ. अनुपम जैन-इंदौर एवं फिल्म निर्मात्री सौ. साधना मादावत-इंदौर आदि।
१०८ फुट प्रतिमा निर्माण के शिल्पी श्री सूरज नारायण नाठा-जयपुर का अभिवादन करते श्री अमित जी शाह।
भाजपा उपाध्यक्ष माननीय
श्री श्याम जी जाजू का सम्मान करते श्री अनिल जैन-दिल्ली, श्री कमलचंद जैन, खारीबावली-दिल्ली,
श्री प्रमोद कासलीवाल-औरंगाबाद, श्री मनोज जैन-मेरठ, श्री आदीश जैन सर्राफ-लखनऊ,
श्री सुभाषचंद जैन सर्राफ-टिकैतनगर।
भाजपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष एवं सांसद श्री राव साहेब दानवे का सम्मान करते संघपति श्री महावीर प्रसाद जैन-दिल्ली व अन्य पदाधिकारीगण।
पालक मंत्री श्री गिरीश महाजन का सम्मान करते श्रीमती सरिता जैन-चेन्नई, श्री दीपक जैन-वाराणसी,
श्री सुभाष जैन साहू-जम्बूद्वीप,
श्री सुनील सर्राफ-मेरठ,
श्री राकेश जैन-मेरठ,
श्री मुकेश शाह-मुम्बई, श्री भूषण कासलीवाल-चांदवड़, श्री प्रमोद कासलीवाल-औरंगाबाद।
धूलिया सांसद श्री सुभाष जी भामरे का स्वागत करते
श्री प्रमोद जैन, मॉडल टाउन-दिल्ली, श्री चन्द्रशेखर कासलीवाल-चांदवड़, श्री विजय जैन-दरियागंज-दिल्ली
डिंडोरी के सांसद श्री हरिश्चन्द्र चव्हाण का सम्मान करते श्री वर्धमान पाण्डे-चांदवड़ तथा विजय पापड़ीवाल-पैठण आदि।
नासिक विधायिका
सौ. सीमा हीरे का सम्मान करतीं महोत्सव की शचि इन्द्राणी
सौ. सुनीता जे.सी. जैन-हरिद्वार।