भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक
== जलंधर। भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या चार करोड़ से अधिक होने के साथ इसका विश्व में पहला स्थान है जो विश्व की कुल पीड़ितों की आबादी का १५ प्रतिशत है। भारत में ग्लूकोज से परहेज नहीं कर पाना मधुमेह के लिए बहुत बड़ी समस्या है जिसके कारण २०२५ तक इसमें सात करोड़ और रोगियों के जुड़ने की संभावना है। मधुमेह रोग वैश्विक और गैर. संचारी महामारी का रूप धारण कर चुका है। यह बीमारी विश्व की ६.६ फीसदी जनसंख्या को अपने चपेट में ले चुकी है जिसमें २०–७९ वर्षों की उम्र के लोग हैं। अंतरराष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन के अनुसार वर्ष २०२५ तक इसकी चपेट में संसार के ३८०८ करोड़ लोग जाएंगे। फेडरेशन ने २००७ में अनुमान लगाया था कि संसार में सबसे ज्यादा मधुमेह रोगी ४.९ करोड़ भारत में हैं। उसके बाद चीन ३.९ करोड़ संयुक्त राज्य अमेरिका १.९ करोड़ रू स १.६ करोड़ ओर जर्मनी ७४ लाख है। भारतीयों में टाइप…. २ मधुमेह बहुत तेजी से बढ रहा है। जिसके पीछे वंशानुगत और जीवनशैली में आए बदलाव कैलोरी की मात्रा भोजन में बढ़ जाना और व्यायाम से दूर भागती पीढ़ी , किशोरी में मधुमेह रोग का पाया जाना प्रमुख कारण है। इसके महामारी का रूप धारण करने के पीछे वही सब कारण हैं जो विश्व के विकसित देशों में प्रचालित है।
अंधाधुंध शहरीकरण , कैलोरी की खपत बढ़ना, मोटापा बढ़ना चलन भारत में मधुमेह की बढ़ती महामारी के मुख्य कारण हैं। दूसरी ओर शारीरिक श्रम वाले कार्यों में आ रही कमी और सेवा क्षेत्र की नौकरियों में बढ़ोतरी , वीडियो गेम्स का बढता चलन टेलीविजन और कंप्यूटर जिससे लोग घंटों चिपककर बैठे रहते हैं मधुमेह रोग को बढ़ावा देते हैं। गरीबों और ग्रामीणों में यह बीमारी आमतौर पर नहीं पायी जाती लेकिन अमीरों में तेजी से बढ़ती गंभीर समस्या का रूप धारण कर रही है। शहरी क्षेत्रों में झुग्गी …झोपडियों के लोगों अब यह रोग फैल रहा है इसलिए अब यह कहा जाने लगा है कि मधुमेह केवल अमीरों और बड़े लोगों की ही बीमारी नहीं रह गई है। अब यह उचच तथा वर्ग मध्य वर्ग यहां तक कि गरीबों को भी अपनी चपेट में ले रही है। नवंबर को राष्ट्रीय मधुमेह माह घोषित किया गया है ताकि न केवल देशभर के बल्कि पूरे विश्व में इससे बचाव के लिए संवाद किया जा सके और लोगों की जीवन शैली में बदलाव के लिए इंसुलिन के अविष्कारक डेरिक बंटिंग की जन्म तिथि भी १४ नवंबर ही है। बंटिंग और चाल्र्स बेस्ट ने मिलकर इंसुलिन का अविष्कार किया था । मधुमेह , गुर्दा तथा हृदय रोग विशेषज्ञ डा. बलविंद्र सिंह वालिया ने बताया कि बच्चों का अब खेलकूद के प्रति रूझान घटना और मोबाइल कंप्यूटर खेलों की तरफ बढ़ना टीवी से चिपके रहना और जंक फूड खाने से बच्चे भी इस रोग के शिकार हो रहे हैं। मधुमेह एक तरह की स्थायी बीमारी है जिसमें जीवन भर उपचार की जरूरत पड़ती है इसके कारण मरीज और उसके परिवार पर आर्थिक भार पड़ता है। मधुमेह की बीमारी कई अन्य जटिल कारकों को भी साथ लाती है और यह महंगे साबित होते हैं। मधुमेह के दौरान हृदय रोगों की संभावना २१.४ प्रतिशत ज्यादा बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि धमनी संबंधी रोग १७.५ प्रतिशत, अल्सर की संभावना ६.३ से ३० फीसदी रेटिना संबंधी बीमारी १९.०० प्रतिशत और किडनी संबंधी रोगों की संभावना २६.३ प्रतिशत ज्यादा बढ़ जाती है। तेजी से भारतीय समाज में इसके पैर पसारने के कारण केन्द्र सरकार सातवीं पंचवर्षीय योजना १९८७ में राष्ट्रीय मधुमेह कार्यक्रम बनाने पर मजबूर हो गई थी।
उस समय बजट की कमी के कारण तमिलनाडु, जम्मू, कश्मीर और कर्नाटक के कुछ जिलों में यह कार्यक्रम रोकना पड़ा था। हालांकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने गैर … संचारी रोगों की विकरालता को ध्यान में रखते हुए जनवरी २००८ में राष्ट्रीय मधुमेह हृदयघात रोग नियंत्रण एवं बचाव कार्यक्रम की शुरूआत की थी। भारत सरकार ने २०१० में राष्ट्रीय कैसर नियंत्रण कार्यक्रम में ही मधुमेह हृदयघात धमनी रोग नियंत्रण कार्यक्रम को एक साथ मिला दिया था। वर्तमान में यह कार्यक्रम देश के १०० जिलों में चल रहा है और बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान इसका विस्तार पूरे देश में कर दिया जाएगा। जिला स्तर पर इन सभी कार्यक्रमों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत लाए जाने की योजना है। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान राष्ट्रीय कैसर एवं मधुमेह नियंत्रण कार्यक्रम को ३५ राज्यों केन्द्र शासित प्रदेशों में २०१३..१४ के दौरान पूरी तरह लागू करने की योजना है। जिला स्तर पर इस योजना को लागू करने के लिए इसे एनसीडी फलैकक्सी पूल के माध्यम से धनराशि उपलब्ध कराने की योजना है। इस कार्य में लगी विभिन्न इकाईयां २१ राज्यों में कार्य कर रही हैं। यह कार्यक्रम देश के ९६ जिलों में कार्यरत है। अब तक ६.१५ प्रतिशत संदिग्ध मधुमेह रोगी मिले हैं जबकि ५.१२ प्रतिशत में मधुमेह पूर्व लक्षण पाये गये हैं १२९००० ग्लूकोज मीटर ५.८ करोड़ ग्लूकोस्टिरप और ६.६७ लैंक्टस २१ राज्यों में विभिन्न राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के तहत वितरित किये जा चुके हैं। ३१ मार्च २०१४ तक ५५३९५७१ लोगों का मधुमेह चेक अप किया जा चुका था। यह चेकअप अभियान विभिन्न स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों स्कूलों शहरी झूग्गी झोंपडियों और कार्यस्थलों पर चलाया गया। साल २०११ में भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संयुक्त रूप से यह तय किया था कि राष्ट्रीय मधुमेह कार्यक्रम की निरंतर निगरानी करते हुए नियंतर निगरानी करते हुए आगे बढ़ाना है। राष्ट्रीय मधुमेह नियंत्रण के लिए बनाई गई इस कार्यक्रम की सफलता के लिए यह जरूरी है कि लोग अपनी जीवन शैली में बदलाव लाएं और स्वास्थ्य जीवन शैली का अनुसरण करें।