उत्तर प्रदेश के जनपद मैनपुरी के उपनगर भोगाँव में स्थित देवाधिदेव श्री १००८ भगवान पार्श्वनाथ जिनालय बहुत ही भव्य एवं प्राचीन है। यह जिनालय लगभग २५०-३०० वर्ष प्राचीन माना जाता है और ऊपर टीले पर स्थित है। कुछ वर्षों पूर्व जब जिनालय के समीप एक नींव खोदी गई तो अनेक खण्डित मूर्तियाँ प्राप्त हुर्इं जो मंदिर में संग्रहीत हैं। एक जैन धर्मावलम्बी के यहाँ कुएँ की खुदाई में एक छोटी सी अरहन्त देव की मूर्ति प्राप्त हुई जो आज भी जिनालय में विराजमान है। जनश्रुति के अनुसार पूर्वनिर्मित जिनालय को मुगलकाल में आक्रमणकारियों ने तहस-नहस कर दिया था अत: पुराने जिनालय के स्थान पर पुन: नया जिनालय बनाया गया। श्री पार्श्वनाथ जिनालय का भव्य सिंहद्वार जिनालय की भव्यता एवं प्राचीनता का अहसास प्रवेश से पूर्व ही करा देता है। जिनालय में प्रवेश करते ही मन एक अद्भुत लोक में पहुँच जाता है। यहाँ पर सिद्धालय जैसी शान्ति व समवसरण जैसा आनंद प्राप्त होने की सुखद अनुभूति होती है। जिनालय की मुख्य वेदी पर २३वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान की श्याम पाषाण की भव्य प्रतिमा विराजमान है। श्री १००८ पार्श्वनाथ दिगम्बर जिनबिम्ब के विशाल पंचकल्याणक सन् १९०२ में सम्पन्न हुए थे। इस सुअवसर पर देश भर से धर्मप्रेमी बंधुवर पधारे थे। ब्रिटिश शासनकाल का मनोहर बैंड विशेष प्रयास से बुलाया गया था। ईसवी सन् २००२ में श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जिनबिम्ब के पंचकल्याणक के सौ वर्ष पूर्ण होने पर कण्डेसिया रिलीजियस एण्ड चेरिटेबल ट्रस्ट एवं समस्त जैन समाज, भोगाँव द्वारा पंचकल्याणक शताब्दी महोत्सव कार्यक्रम भी सम्पन्न हुआ। श्री पार्श्वनाथ जिनबिंब पंचकल्याणक से पूर्व मुख्य वेदी पर श्री अजितनाथ भगवान की ७०० वर्ष से अधिक प्राचीन प्रतिमा विराजमान थी परन्तु बाद में भगवान अजितनाथ की प्रतिमा को जिनालय की बायीं वेदी पर विराजमान कर दिया गया एवं मुख्य वेदी पर श्री १००८ भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान की गई। दायीं वेदी पर देवाधिदेव श्री १००८ भगवान आदिनाथ की ५०० वर्ष से भी अधिक प्राचीन एवं अतिशययुक्त प्रतिमा एवं अन्य भगवन्तों की बहुत प्राचीन-प्राचीन प्रतिमाएँ विराजमान हैं। श्री पार्श्वनाथ जिनालय में एक पुस्तकालय भी है जहाँ ताड़पत्रों पर स्वर्ण अक्षरों में लिखित एवं हस्तलिखित दुर्लभ जैन ग्रंथों का संग्रह है। इसके अतिरिक्त जैन दर्शन की नवीन पुस्तके एवं सभी अनुयोगों के शास्त्र भी यहाँ उपलब्ध हैं। जिनालय के बाहर एक बड़ा खुला स्थान है जहाँ समय-समय पर धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। यह जिनालय चमत्कारिक दृष्टि से भी अछूता नहीं है। जिनालय में मुख्य वेदी के सम्मुख आँगन में एक निश्चित स्थान पर जैन व्रतों व पर्वों में जल-वृष्टि होती है जो जिनालय की महिमा को दर्शाती है। भोगाँव नगर दिल्ली-कलकत्ता जी.टी. रोड पर कुरावली से २० किमी. एवं मैनपुरी से मात्र १५ किमी. की दूरी पर स्थित है। दिल्ली एवं आगरा से कन्नौज, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या, इलाहाबाद व बनारस जाने वाली सभी बसों का यहाँ स्टॉप है।